पेगासस विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने वकील को लगाई फटकार, कहा PM को नोटिस नहीं
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता एमएल शर्मा कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल पेगासस जासूसी मामले में अदालत की निगरानी वाली एसआईटी जांच की मांग वाली अपनी याचिका में उन्होंने PM नरेंद्र मोदी को प्रतिवादी बनाया था, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि आपने कुछ व्यक्तियों (प्रधानमंत्री को याचिका में) शामिल किया है। हम इस तरह से नोटिस जारी नहीं कर सकते हैं। चीजों का फायदा उठाने की कोशिश बिल्कुल न करें। इस पर वकील ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर में जालसाजी कर रही है। इसीलिए अपनी याचिका में प्रधानमंत्री और सीबीआई को उन्होंने प्रतिवादी बनाया है।
इस पर पीठ ने जवाब देते हुए कहा कि यह जनहित याचिका दायर करने का तरीका नहीं है। पेपर कटिंग के अतिरिक्त अन्य सामग्री कहां है। इस पर शर्मा ने तर्क दिया कि उनकी याचिका तथ्यों पर आधारित है केवल समाचार पत्रों की कटिंग पर नहीं। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ पत्रकार एन. राम का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि पेगासस एक खराब तकनीकि है और यह पूरी तरह से अवैध है, क्योंकि यह टेलीफोन के माध्यम से हमारे जीवन में घुसपैठ करता है। यह सुनने के साथ ही देखता भी है।
सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह निजता और मानवीय गरिमा पर एक हमला है। बता दें कि शर्मा की याचिका के अनुसार पेगासस घोटाला गंभीर चिंता का विषय है और भारतीय लोकतंत्र, देश की सुरक्षा व न्यायपालिका पर एक हमला है। निगरानी का व्यापक उपयोग नैतिक रूप से ठीक नहीं है। इस सॉफ्टवेयर के राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ बहुत बड़े हैं। इसी के साथ अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए शर्मा की याचिका में कहा गया है कि घोटाले में राष्ट्रीय सुरक्षा और न्यायिक स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। मालूम हो कि कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पेगासस स्नूपिंग मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है। फिलहाल शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की है।