बिकरू कांड: विकास दुबे को गलत तरीके से शस्त्र मुहैया कराने में शामिल थे जिला प्रशासन व राजस्व विभाग के 26 अधिकारी

November 27, 2021 by No Comments

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लखनऊ।  पुलिस एंकाउंटर में एक साल पहले मारे गए कुख्यात गैंगेस्टर विकास दुबे के साथ 26 सरकारी अधिकारियों की मिली-भगत का खुलासा न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में साफ तौर पर विकास दुबे और उसके साथियों को गलत तरीके से शस्त्र लाइसेंस मुहैया कराने में जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के 26 अधिकारियों की संलिप्तता पाई है। 

गौरतलब है कि साल 2020 में 2 जुलाई की रात उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के चौबेपुर गांव के बिकरू गांव में गैंगेस्टर को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर गैंगेस्टर ने अपने तमाम साथियो के साथ पुलिस पर हमला बोल दिया था। अचानक हुए हमले के बाद पुलिस जब तक कुछ समझती, घटना में एक पुलिस अधिकारी सहित आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद ही विकास दुबे और उसके साथी भाग गए थे, जिसे बाद में पुलिस ने एक-एक कर तलाश शुरू की और कईयों का एन्काउंटर कर दिया था।

विकास का भी 10 जुलाई को पुलिस ने एंकाउटर किया था। इसके बाद से ही मामले के तमाम पहलुओं की जांच चल रही है। इसी क्रम में रविवार को न्यायिक आयोग ने विशेष जांच दल (SIT) के नतीजों का समर्थन करते हुए कहा कि जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के 26 अधिकारियों ने विकास दुबे और उसके सहयोगियों को शस्त्र लाइसेंस और उचित मूल्य दुकान परमिट को प्राप्त करने में मदद की थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी.एस. चौहान को दुबे और उनके पांच कथित सहयोगियों के मुठभेड़ की जांच करने के लिए कहा गया था। इस पर पैनल ने उन परिस्थितियों की भी जांच की जिसकी वजह से गैंगेस्टर अस्तित्व में आया और फिर उसका पतन हुआ। दुबे के एनकाउंटर के ठीक बाद राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था। 

फाइल फोटो-जब उज्जैन में पुलिस ने गिरफ्तार किया था विकास दुबे को

कॉल डिटेल के आधार पर इन अधिकारियों की मिलीभगत आई है सामने
SIT की रिपोर्ट के मुताबिक गैंगस्टर के साथ मिलीभगत करने वाले अधिकारियों में छह सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM), एक अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट (ACM), सात ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO), दो तहसीलदार और दो उप-तहसीलदार राजस्व निरीक्षक और दो आपूर्ति निरीक्षक शामिल हैं। साथ ही सूची में दो ग्राम विकास अधिकारी और तीन लेखपालों का नाम भी शामिल है। हाल ही में रिपोर्ट सौंपने वाले आयोग ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चौबेपुर में तैनात प्रखंड विकास अधिकारी लगातार दुबे के संपर्क में थे और दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक एक साल में उन्होंने 22 बार बात की थी। इसी तरह तत्कालीन राजस्व निरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, आपूर्ति निरीक्षक सभी लगातार दुबे के संपर्क में बने रहे थे। SIT ने पिछले एक साल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। SIT के इन सभी बिंदुओं व निष्कर्षों का समर्थन करते हुए आयोग ने यहां तक कह दिया है कि पाए गए साक्ष्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्व अधिकारियों के दुबे के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये सभी अधिकारी विकास दुबे के साथ इतने मित्रवत थे कि अगर कोई आम आदमी उनके खिलाफ शिकायत करता था तो वे शिकायतकतार्ओं को ही पीट देते थे। इस पर आयोग ने SIT के इस खुलासे का भी समर्थन किया है कि चार SDM और एक ACM के खिलाफ विभागीय जांच की जानी चाहिए। साथ ही चार SDM और आठ तहसीलदारों और अन्य राजस्व अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए।

फाइल फोटो-पुलिस की जीप इस तरह पलट गई थी। 

कुछ यूं किया गया था गैंगेस्टर का एंकाउंटर
2 जुलाई की रात एक पुलिस अधिकारी सहित आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने के बाद विकास दुबे मौके से फरार हो गया था। पुलिस उसे लगातार ढूंढती रही। एक तरफ जहां उसके कई साथियों का पुलिस एंकाउटर कर रही थी, तो दूसरी ओर विकास दुबे पुलिस को चकमा देकर कानपुर की सीमा पार कर फरार हो गया था। इसके बाद खुद विकास ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में अपनी पहचान का खुलासा करते हुए कहा था कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। इसके बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था और उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया था। उत्तर प्रदेश पुलिस जब उसे मध्यप्रदेश से ला रही थी, कि कानपुर की सीमा पार करने से पहले ही पुलिस की जीप पलट गई और विकास ने भागने की कोशिश की इस पर पुलिस ने उस को रोकने के लिए गोली चलाई जिससे वह मौके पर ही मर गया। हालांकि इस पूरे मामले को लेकर कई सवाल खड़े किए गए। जब विकास का एंकाउंटर हुआ, उससे पहले भी कई नेताओं व मंत्रियों के साथ उसकी फोटो भी जमकर वायरल हुई थी। साथ ही कई ऑडियो रिकार्ड भी वायरल हुए थे। 

फाइल फोटो-ऊपर खुशी दुबे अपने पति के साथ और नीचे विकास दुबे शादी में डांस करता हुआ

खुशी दुबे है जेल में बंद
इस मामले में विकास के घनिष्ठ मित्र माने जाने वाले अमर दुबे की पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वह फिलाहाल जेल में है। पुलिस का कहना था कि वह इस पूरे षडयंत्र में शामिल थी। तो दूसरी ओर अमर दुबे को भी पुलिस ने एंकाउंटर में मार दिया था। बता दें कि खुशी की शादी अमर दुबे से घटना के दो दिन पहले ही हुई थी। 30 जून को उसकी शादी हुई थी, जिसमें विकास दुबे शामिल हुआ था और 2 जुलाई की रात को बिकरू कांड हुआ था। पुलिस की इस कार्यवाही पर भी सवाल उठाए गए कि भला दो दिन पहले शादी कर के आई दुल्हन घटना के षडयंत्र में कैसे शामिल हो सकती है। दूसरी ओर खबर ये भी है कि खुशी दुबे नाबालिग है, ऐसे में उसे जेल में बंद नहीं करना चाहिए। फिलहाल खुशी का मामला कोर्ट में चल रहा है।