AKSHAYA TRITIYA-2022:अक्षय तृतीया पर ब्राह्मणों को इन वस्तुओं का करें दान और खांए सत्तु, खरीदें सोने के आभूषण, जानें पुराणों व महाभारत में क्या बताई गई है आखातीज की 8 महिमा, देखें कथा
धर्म-अध्य़ात्म। वैशाख शुक्ल तृतीय को हिंदुओं का सबसे पवित्र त्योहार अक्षय तृतीया मनाया जाता है। इसे आखातीज भी कहते हैं। इस बार यह 3 मई को मनाया जाएगा। इसी दिन ब्राह्णणों के देव परशुराम भगवान की जयंती भी मनाई जाती है। शास्त्रों में इस दिन को बहुत पवित्र माना गया है। इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरम्भ माना जाता है। इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसी कारण इस तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में आए तो महाफलदायक माना जाता है। यदि तृतीया मध्याह्न से पूर्व शुरू होकर प्रदोषकाल तक रहती है तो श्रेष्ठ मानी जाती है। वर्तमान समय में इस दिन सोने के आभूषण खरीदने का प्रचलन बढ़ गया है। मान्यता है कि अगर सोना खरीदो तो साल भर घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती और पैसे का आवागमन बना रहता है।
जाने इस दिन किन-किन कार्यों का मिलता है अक्षय फल
आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि वैशाख शुक्ल तृतीया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में दी गई है। इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो, अर्थात जो नष्ट न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते है। यह सर्व सौभाग्यप्रद है।
इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह – प्रवेश या वस्त्र -आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।
इस दिन सप्तधान्य के जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन अक्षत आदि से लक्ष्मी-नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।
इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं। उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। इस दिन विवाह आदि मंगल कार्यों के लिए किसी भी मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं पड़ती। कहते हैं इस दिन जो विवाह होता है वह अटूट रहता है।
आचार्य पुष्पलता पाण्डेय बताती हैं कि इस दिन दिन गंगा स्नान और पूजन का बड़ा भारी माहात्म्य है, जो मनुष्य इस दिन गंगा में स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है।
इन वस्तुओं का करें दान
इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, नमक, घी, चीनी, साग, इमली, फल, वस्त्र, खड़ाऊं, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा आदि का ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। इसी के साथ इसके आस-पास पड़ने वाली मेष संक्रांति में ब्राह्मणों को चीनी या गुड़ के साथ सत्तू दान करना चाहिए। इसी के साथ सत्तू खाना भी चाहिए।
बद्रीनारायण को चढ़ाएं तुलसीदल
इसी दिन चारो धामों में सबसे प्रमुख श्री बद्रीनारायण जी के पट खुलने की भी परम्परा है। इस दिन भक्तों को चाहिए की श्री बद्रीनारायण जी के चित्र को सिंहासन पर रख कर उन्हें मिश्री तथा भीगी हुई चने की दाल का भोग लगाना चाहिए। साथ ही भगवान को तुलसीदल भी चढ़ाना चाहिए। इसी के साथ पूजा व आरती करनी चाहिए।
जप,उपवास व दान का महत्त्व
इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हल्का भोजन करके भी उपवास कर सकते है। ‘भविष्य पुराण’ में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है। इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए। भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व, अध्याय 21 में दिया गया है कि वैशाख मास की तृतीया को चन्दनमिश्रित जल तथा मोदक के दान से ब्रह्मा तथा सभी देवता प्रसन्न होते हैं। देवताओं ने वैशाख मास की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा है। इस दिन अन्न-वस्त्र-भोजन-सुवर्ण और जल आदि का दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।इसी तृतीया के दिन जो कुछ भी दान किया जाता है वह अक्षय हो जाता है और दान देनेवाला सूर्यलोक को प्राप्त करता है। इस तिथि को जो उपवास करता है वह ऋद्धि-वृद्धि और श्री से सम्पन्न हो जाता है।
कथा
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)
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