जानें भारत के किस मंदिर में होती है एक सैनिक की पूजा…? यहां पानी तक हो जाता है पवित्र; साथी सैनिक के सपने में आकर कही थी जो बात हुई थी सच
Indian Army: भारत में देवी-देवताओं के अनेक मंदिर हैं और ये बात सभी जानते हैं कि इनमें विभिन्न देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा की जाती है लेकिन ये कम ही लोग जानते होंगे देश में एक ऐसा मंदिर भी है जिसमें एक सैनिक की भी विधि-विधान से पूजा होती है और सैनिक का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये मंदिर कहां स्थित है? चलिए जानते हैं इस लेख में इसके रहस्य के बारे में-
1946 में हुआ था जन्म
20 वर्ष की छोटी उम्र में इन्होंने भारतीय सेना में भर्ती हुए और सैन्य प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उनको पंजाब रेजिमेंट में शामिल किया गया था. उन्होंने एक कुशल सैनिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का बखूबी पालन किया. बता दें कि यहां पर हम जिस सैनिक की बात कर रहे हैं, उनका नाम बाबा हरभजन सिंह हैं. उनका जन्म 30 अगस्त 1946 को पंजाब के कपूरथला जिले में एक सिख परिवार में हुआ था.
इस तरह से हुआ था निधन
प्रशिक्षण के बाद उनको 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम सीमा पर साल 1968 में उनकी तैनाती हुई थी. उनके निधन को लेकर कहा जाता है कि वह खच्चर पर सवार होकर जा रहे थे कि तेज बहाव की धारा में डूबकर उनकी मौत हो गई थी. कहा जाता है कि पानी का तेज बहाव हरभजन सिंह के शरीर को बहाकर दूर ले गया और शव तीन दिन बाद मिला.
साथी सैनिक के सपने में आकर कही थे ये बात
कहा जाता है कि बाबा हरभजन ने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर बताया था कि उनका मृत शरीर कहां पर पड़ा है. इस पर भारतीय सेना ने जब उनकी तलाश की तो शव वहीं पर मिला जहां उन्होंने सपने में बताया था. उस समय इस घटना की खूब चर्चा हुई थी. बता दें कि पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था.
कही थी समाधि बनाने की बात
ये बात भी प्रचलित है कि हरभजन सिंह अपने साथी सैनिक के सपने में आकर समाधि बनाने की बात कही थी. इस पर 14 हजार फीट की ऊंचाई पर जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच उनकी समाधि के साथ ही मंदिर भी बनाया गया. यहां दर्शन करने वालों की खूब भीड़ लगती है.
जानें कैसे बनाया गया है मंदिर?
बाबा हरभजन सिंह का मंदिर सिक्किम में स्थित है और इसे तीन कमरों वाले एक बंकर के अंदर बनाया गया है. मुख्य कमरे में हरभजन सिंह के साथ-साथ अन्य हिंदू देवताओं और सिख गुरुओं की एक बड़ी तस्वीर है. तो वहीं एक अन्य कमरा भी है जो कि बाबा हरभजन सिंह का निजी कमरा है. इस वजह से इसमें उनके सभी निजी सामान रखे गए हैं. इस कमरे में उनकी साफ-सुथरी वर्दी, पॉलिश किए जूते, अच्छी तरह से रखा हुआ बिस्तर और अन्य घरेलू सामान रखा गया है. माना जाता है कि रात को उनके जूते कीचड़ से सने हुए मिलते हैं. मंदिर के आखिरी कमरे में एक कार्यालय और एक स्टोर रूम है, जिसमें बाबा हरभजन सिंह को अर्पित की गई अन्य वस्तुएं रखी गई हैं. उनका कमरा और वर्दी हर रोज साफ की जाती है.
यहां पानी तक हो जाता है पवित्र
सैनिक के मंदिर को लेकर मान्यता है कि अगर यहां पर एक सप्ताह के लिए पानी रख दिया जाए तो वह पवित्र हो जाता है और किसी भी बीमारी को ठीक कर सकता है. बहुत से लोग जो हरभजन बाबा मंदिर नहीं जा पाते हैं, वे उन्हें धन्यवाद देने या अपनी समस्याओं को हल करने के लिए मदद मांगने के लिए पत्र भेजते हैं.
इसी के साथ ही ये भी मान्यता है कि यहां रखी गई चप्पलें पैरों की समस्याओं आदि से पीड़ित रोगियों की मदद करती हैं.
ये हैं उनके चमत्कार के किस्से
न केवल सिक्किम बल्कि देश-विदेश में जो भी बाबा हरभजन सिंह के अनुयायी रहते हैं, सभी जगह पर उनके चमत्कार के किस्से खूब सुने जाते हैं. कहा जाता है कि सीमा पर भारतीय सैनिक गश्त में जरा सी भी लापरवाही बरतते है तो वो अदृश्य तौर पर जवानों को आगाह करते है. कई बार लोगों ने दावा किया है कि उन्हें कई बार गश्त लगाते हुए और अजनबी लोगों से बात करते हुए भी देखा गया है. कई सैनिक जो वर्दी के मामले में अनुशासनहीन हैं या जो रात में गश्त करते समय सो जाते हैं, उन्हें अदृश्य हरभजन सिंह थप्पड़ मारकर जगाते हैं. इस घटना के शिकार सैनिक कहते हैं कि वो जब उठकर चारों ओर देखते हैं तो उन्हें कोई नहीं दिखता.
भारत के सैनिक उनको पूजते हैं भगवान की तरह
बाबा के निधन के दशकों बाद भी उनकी पूजा की जाती है और भारतीय सैनिक पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं और उनको भगवान मानते हैं. मान्यता है कि बाबा हमेशा अपने सैनिकों को विदेशी देशों से होने वाले किसी भी संभावित हमले से पहले ही आगाह कर देते हैं. मालूम हो कि जिस क्षेत्र में बाबा हरभजन सिंह का शव मिला था वहीं पर मंदिर की स्थापना की गई है. मीडिया सूत्रों की मानें तो आज भी इस क्षेत्र में तैनात सेना की टुकड़ियां जब भी किसी खतरनाक या बड़े मिशन पर जाती हैं, तो बाबा का आशीर्वाद जरूर लेती हैं.
हर साल उनके नाम पर आरक्षित की जाती रही है एक बर्थ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब तक वह काल्पनिक रूप से सेवानिवृत्त नहीं हो गए तब तक हर साल 11 सितंबर को हरभजन सिंह को 2 महीने की छुट्टी दी जाती थी ताकि वह अपने घर जा सकें. सबसे बड़ी बात ये है कि हर साल उनके नाम पर एक बर्थ आरक्षित की जाती थी और पूरी यात्रा के लिए उनकी सीट खाली छोड़ी जाती थी. 11 सितम्बर को सेना उनके सामान को सिलीगुड़ी के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन तक ले जाती थी और फिर ट्रेन से उनके घर तक ले जाती थी.
महावीर चक्र से किया गया सम्मानित
भारतीय सेना के प्रति उनकी महान सेवा और समर्पण के कारण बाबा हरभजन सिंह को उनके निधन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. बाबा हरभजन सिंह की 2 महीने की छुट्टी के दौरान सेना हाई अलर्ट पर रहती थी.
मानद कैप्टन की उपाधि भी दी गई है
बाबा हरभजन सिंह का वेतन उनके परिवार तक हर महीने पहुंचाया जाता रहा और वार्षिक छुट्टी का भी सेना ने पूरा ख्याल रखा और उनको बकायदा छुट्टी भी दी जाती रही और ये सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक वो सेना से काल्पनिक रूप से सेवानिवृत्त नहीं हो गए. बाबा हरभजन सिंह की सेवा और आध्यात्मिक शक्ति के सम्मान में भारतीय सेना ने उन्हें मानद कैप्टन के रूप में पदोन्नत किया था.