धिक्कार और तानों ने बना दिया दारोगा…देश को मिली पहली ट्रांसजेंडर सब-इंस्पेक्टर, कोचिंग संस्थानों ने भी दाखिला लेने से कर दिया था मना

July 10, 2024 by No Comments

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Bihar Transgender Sub Inspectors: उसकी शरीर की बनावट व कमियों को लेकर समाज ने इतने ताने दिए और इतना धिक्कारा कि फिर उसने भी ठान ली कि अब कुछ ऐसा करेगी कि बस इतिहास ही रचेगी…और फिर उसने अपनी अथक मेहनत और प्रयास के बल पर वो कर भी दिखाया और बन गई भारत की पहली महिला ट्रांसजेंडर (किन्नर) दारोगा.

बता दें कि मंगलवार को बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने 1275 दरोगा पद पर बहाली का परिणाम घोषित किया था जैसे ही इसका रिजल्ट सामने आया, इसके साथ ही भारत के नाम एक इतिहास भी दर्ज हो गया. ये जानकर आपको आश्चर्य होगा कि भारत के किसी भी राज्य में एक भी ट्रांसजेंडर दारोगा नहीं है तो वहीं बिहार के दारोगा भर्ती परीक्षा में पहली बार एक-दो नहीं बल्कि तीन ट्रांसजेंडर्स को एक साथ दारोगा बनने का मौका मिला है. इसमें से दो पुरुष तो एक महिला ट्रांसजेंडर शामिल है. इस तरह से बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां पर एक साथ तीन ट्रांसजेंडर दारोगा बन गए हैं. हालांकि केरल ऐसा राज्य है जहां पर एक ट्रांसजेंडर को सिपाही बनने का मौका मिला है. तो वहीं भागलपुर की मानवी मधु कश्यप पहली महिला ट्रांसजेंडर दारोगा बन गई हैं.

2014 में छोड़ दिया था घर
मधु बताती हैं कि 2014 में अपना घर छोड़कर वह भाग गई थीं, क्योंकि सामाजिक स्तर पर उनको तमाम ताने दिए जाते थे और लोग भला-बुरा कहते थे. इस तरह से उन्होंने बचपन से बहुत प्रताड़ना झेली है. इसी वजह से कुछ अलग करने की मन में ठानी और फिर 2022 में पटना चली आई. इस दौरान भी बहुत संघर्ष किया. मधु ने बताया कि तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों गई लेकिन नामांकन करने से इनकार कर दिया. मधु बोलीं कि वह बस मन में दारोगा बनने का सपना सजाएं थीं.

कोचिंग संस्थानों ने दाखिला देने से किया मना
मधु अपने संघर्षों के दिन को याद करते हुए कहती हैं कि मेरी वजह से परिवार वालों को तमाम तरह की बातें सुननी पड़ती थी. इससे मैं परेशान हो जाती थी. जब अंत में मुझसे ये सब नहीं सहा गया तो मैंने घर ही छोड़ दिया. मैट्रिक, इंटर और पॉलिटिकल साइंस के साथ बीए ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की है. ट्रांसजेंडरों के साथ समाज में गलत बर्ताव किया जाता है. यही वजह रही कि जिस किसी भी संस्थान में कोचिंग के लिए जाती, कोई दाखिला ही नहीं लेता.

फिर मिले गुरु रहमान
मधु कहती हैं कि मैं दारोगा कैसे बनूं, इसकी तैयारी कराने के लिए कोई गुरु नहीं मिल रहा था लेकिन फिर गुरु रहमान मिल गए और फिर उन्होने उनके साथ ही उनके दो साथियों को पढ़ाना शुरू किया और अब रिजल्ट सभी के सामने है. मधु कहती हैं कि वह 5 से 6 घंटे तक नियमित रूप से पढ़ती थीं. बता दें कि तीनों ट्रांसजेंडर गुरु रहमान के गुरुकुल के ही शिष्य थे. मधु कहती हैं कि वह अपने समाज के लिए बहुत काम करना चाहती हैं.