Hindu Belief: त्रयोदशी को बैंगन खाने से होती है बेटे को हानि…जानें किस तिथि पर कौन सी सब्जी खाने पर ब्रह्मवैवर्त पुराण ने लगाई है रोक
Hindu Belief: हिंदू धर्म और मान्यताएं तिथियों व वेद-पुराणों से अनुसार चलती हैं। वैसे तो अधुनिक युग में लोग तिथियों को न मानते हुए अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कार्य करने लगे हैं, लेकिन हमारे तीज-त्य़ोहार सभी तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं। इस तरह से हिंदू धर्म में तिथियों का एक अलग ही महत्व है। आज भी अधिकांश घरों में एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता, इसके लिए अलग-अलग मान्यताएं हैं, लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण सभी तिथियों पर कुछ न कुछ खाने की रोक लगाता है।
इस सम्बंध में आचार्य विनाद कुमार मिश्र बताते हैं कि पहले हमारे पूर्वजों का खान-पान तिथियों के अनुसार ही होता था और वे सालों-सालों स्वस्थ्य रहते थे व उम्र भी लम्बी होती थी। कहीं न कहीं ये तिथियां हमारे जीवन को प्रभावित जरूर करती हैं। इसीलिए लोगों को थोड़ा संयम रखते हुए तिथियों के अनुसार खान-पान को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। अधुनिक युग में तो लोगों ने आयुर्वेद को भी नकार दिया था, लेकिन इसी आयुर्वेद ने कोरोना महामारी में हमारे जीवन की रक्षा की। आज पूरा विश्व आयुर्वेद को मान रहा है। इसी तरह हमारे वेद-पुराणों में जो लिखा है, वो गलत नहीं है। इसका हमारे जीवन में कुछ न कुछ असर पड़ता ही है। अगर हम पुराणों के अनुसार अपनी दिनचर्या को बना लें तो निश्चित ही तमाम बीमारियां यूं हीं ठीक हो जाएंगी। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि हमें तिथियों के अनुसार किस दिन क्या नहीं खाना चाहिए।
पहला दिन (प्रतिपदा)
प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये। क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34 में किया गया है।
दूसरा दिन (द्वितीया)
ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34 में द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) को खाने के लिए मना किया गया है।
तीसरा दिन (तृतीया)
तृतीया को परवल नहीं खाना चाहिए। पुराण कहता है कि, लगातार ऐसा करते रहने से शत्रुओं में वृद्धि होती है।
चौथा दिन (चतुर्थी)
चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। इसके बारे में ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34 में दिया गया है।
पांचवां दिन (पंचमी)
ब्रह्म वैवर्त पुराण,ब्रह्म खण्ड 27.29-34 कहता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। इसलिए इस दिन बेल खाने से बचना चाहिए।
छठा दिन (षष्ठी)
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सातवां दिन (सप्तमी)
ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34 कहता है कि सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है और शरीर का नाश होता है। इसलिए कोशिश करें कि इस तिथि पर ताड़ का फल न खाएं।
आठवां दिन (अष्टमी)
अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।
नवां दिन (नवमी)
नवमी को लौकी खाना मना किया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34 कहता है कि नवमी को लौकी खाना गोमांस खाने के समान है। इसीलिए नवमी पर लौकी भूल कर भी न खाएं। इस दिन कुछ और बना लें। पर लौकी न खाएं।
दसवां दिन (दशमी)
दशमी को कलम्बी अथवा करेमू का शाक खाना मना है।
ग्यारहवां दिन (एकादशी)
एकादशी को चावल व साबूदाना नहीं खाना चाहिए। इसी के साथ एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र को हानि पहुंचती है।
बारहवां दिन (द्वादशी)
द्वादशी को पूतिका(पोई) खाना मना होता है। इससे पुत्र को हानि पहुंचती है।
तेरहवां दिन (त्रयोदशी)
त्रयोदशी को बैगन खाना मना है। ब्रह्म वैवर्त पुराण ब्रह्म खण्ड: 27.29-34, कहता है कि त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र की हानि होती है। इसलिए इस दिन बैंगन खाने से बचें।
चौदहवां दिन (चतुर्दशी)
चतुर्दशी को तिल का तेल खाना और लगाना मना।
पन्द्रहवां दिन (पूर्णिमा)
पूर्णिमा के दिन तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38 में किया गया है।
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नोट-हिंदू कैलेंडर के अनुसार तारीखें नहीं तिथियां होती हैं और महीने में 15-15 दिन के दो पक्ष, कृष्ण और शुक्ल पक्ष होते हैं। इस तरह से अंग्रेजी का एक महीना, अर्थात 1 से 30 तारीख के बीच में हिंदुओं के दो महीने पड़ते हैं, जो कि 15-15 दिन के होते हैं। अर्थात प्रतिपदा से शुरू हुआ पहला दिन पूर्णिमा को व 15वें दिन समाप्त होता है। फिर दूसरा पक्ष प्रतिपदा से शुरू होता है और 15वें दिन पूर्णिमा पर समाप्त होता है। इस तरह से प्रत्येक तिथियां महीने में दो-दो बार पड़ती हैं, केवल पक्ष बदल जाते हैं। ये जानकारी उन सभी लोगों के लिए है, जो हिंदू धर्म व तिथियों के बारे में गहनता से नहीं जानते हैं।
चेतावनी: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों, पुराण पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। Khabar Sting इसकी पुष्टि नहीं करता।)
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