दो से 10 साल की कन्याओं को ही कराएं नवरात्र में भोज, दो वर्ष की कन्या दूर करती हैं दरिद्रता, तो अन्य आयु की कन्याओं को पूजने से जानें क्या होता है लाभ
नवरात्र स्पेशल। हिंदू धर्म ग्रंथों में नवरात्र व्रत का पारण कन्या भोज कराने के बाद ही माना गया है। वृंदावन के आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि नवरात्र के दिनों में प्रथम दिन से लेकर नवमी तक, प्रत्येक दिन 1,3, 5, 7, 9, 11 विषम संख्या में अपनी क्षमता के अनुसार कन्या का पूजन कर भोजना करना चाहिए। इससे कहते हैं कि मां दुर्गा स्वयं ही भोग लगा लेती हैं।

अगर हर दिन संभव ना हो तो अष्टमी, नवमी को भी कन्या पूजन कर सकते हैं। कन्या को घर में ही बुलाकर भोजन कराना शास्त्रों में सबसे उत्तम माना गया है। आचार्य बताते हैं कि दो से 10 साल तक ही कन्याओं को ही भोजन कराना चाहिए। इससे बड़ी उम्र की कन्याओं को भोजन कराना नवरात्र में उचित नहीं माना गया है। तो आइए इस लेख में देखते हैं कि किस उम्र की कन्या को भोजना कराने से भक्तों को क्या मिलता है लाभ।

दो वर्ष की कन्या का पूजन करने के बाद भोजन कराने से घर में दुख और दरिद्रता नहीं आती।
तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप मानी गई हैं। इनके पूजन से घर में धन-धान्य की भरमार रहती है, वहीं परिवार में सुख और समृद्धि जरूर रहती है।
चार साल की कन्या को कल्याणी माना गया है। इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है।
पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी माना गया है। रोहिणी का पूजन करने से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है।
छह साल की कन्या को कालिका रूप माना गया है। कालिका रूप से विजय, विद्या और राजयोग मिलता है।

सात साल की कन्या चंडिका होती है। चंडिका रूप को पूजने से घर में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
आठ वर्ष की कन्याएं शाम्भवी कहलाती हैं। इनको पूजने से सभी तरह के विवाद चाहें वह कानूनी ही हो, में विजयी मिलती है।
नौ साल की कन्याएं दुर्गा का रूप होती हैं। इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है और असाध्य कार्य भी पूरे हो जाते हैं।
दस साल की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूरा करती हैं। अगर प्रत्येक दिन न हो सके तो अष्टमी, नवमी को एक साथ हर उम्र की कन्याओं को एक साथ बिठाकर भी पूजा कर भोजन करा सकते हैं। अंत में कन्याओं को दक्षिणा देना न भूलें।
नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)
ये खबरें भी पढ़ें-