CHAITRA NAVRATRI 2022: नवम माता सिद्धिदात्री को इस तरह करें प्रसन्न, जानें किन उपहारों से कन्याएं होती हैं प्रसन्न, देखें भजन वीडियो
नवरात्र स्पेशल। नवरात्र की नवमी अर्थात नवरात्र की पूर्णता के दिन माँ शक्ति के नवें और सबसे शक्तिशाली स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान शास्त्रों व पुराणों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है की जो भक्त किसी वजह से पूरे नवरात्र में पूजा नहीं कर पाते तो वह सिर्फ नवमी को ही माता के सभी रूपों की पूजा पूरे विधि-विधान से कर लें और कन्या भोज करा दें तो उनको पूरे नवरात्र का फल प्राप्त हो जाता है। इस बार नवमी तिथि 10 अप्रैल को पड़ रही है।
ऐसा है माता का स्वरूप
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि चतुर्भुज सिंह वाहिनी सिद्धिदात्री माता सिंह के साथ ही कमल पुष्प के आसन पर बैठती हैं। माता की छवि की बात करें तो माँ के दाहिनी ओर के निचले वाले हाथ में चक्र और ऊपर वाले दाहिने हाथ में गदा दिखाई देता है। बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख तथा ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प विद्यमान रहता है। मान्यता है कि अपने इस शक्ति विग्रह में माँ अपने भक्तों को ब्रह्मांड की सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं। नवरात्र पूजन के अंतिम दिन अर्थात नवमी पर भक्त और योगी साधक माँ शक्ति के इसी रूप की शास्त्रीय विधि-विधान से पूजा करते हैं। शास्त्रों की मानें तो माँ के इस स्वरूप की पूजा संसारी लोगों के साथ ही देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि, मुनि, साधक आदि सभी करते हैं। नवरात्र के सिर्फ नवें दिन भी यदि कोई भक्त एकाग्रता और निष्ठा से पूजा कर लेता है तो उसे सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं और मां का भक्त हर तरह से सांसारिक संकटों से लड़ने के लिए मजबूत हो जाता है। माँ की कृपा प्राप्त करने वाले को सभी लौकिक तथा परालौकिक कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। पुराणों की मानें तो माँ शक्ति के इसी रूप को जगत का संचालन करने वाला माना गया है।
कन्याओं को ये सामग्री दें उपहार में
माँ शक्ति का यह स्वरूप सब प्रकार की सिद्धियां देने वाला है। इसीलिए माता के इस स्वरूप को सिद्धिदात्री कहा गया है। नवरात्र के नौवें दिन मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा-अर्चना की परम्परा सदियों से चली आ रही है। नवरात्र के समापन व नवमी पर हवन करने के बाद ही व्रत का पारण करना शास्त्रों में बताया गया है। कुछ लोग तो नवमी वाले दिन ही पारण कर लेते हैं तो कुछ दशमी को। इस सम्बंध में सबकी अपनी अलद-अलग राय है। माता को हलवा, पूरी, चना, खीर, पुवे आदि पसंद हैं, इसलिए नवमी पर माता को इन्ही सब का भोग लगाना चाहिये।
माता को प्रसन्न करने के लिए इस दिन नौ कन्याओं या इससे अधिक कन्याओं का पूजन विधि -विधान से कर कई प्रकार का भोजन कराना चाहिए। क्योंकि हिंदी धर्म में कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। वैसे तो नवरात्र की प्रथम तिथि से ही कन्याओं को भोजन कराने व दक्षिणा देने के बारे में शास्त्रों में बताया गया है, लेकिन अगर प्रथम दिन से नहीं कर सके तो मात्र अष्टमी व नवमी को भी कन्या भोज करा कर पूरे नवरात्र की फल प्राप्त कर सकते हैं।
नवमी पर कन्याओं की ठीक उसी तरह पूजा करनी चाहिए, जैसे हम माता की करते हैं। इसके बाद जो माता को भोग लगाया है, उसी तरह का भोजन कन्याओं को कराना चाहिए। इसके बाद कन्याओं को वस्त्र (लाल चुनरी), रूपये, भोज्य पदार्थ, खिलौने, पुस्तकें-किताबें, श्रंगार की सामान आदि, जो भी आपके सामर्थ्य में हो, उपहार में देकर विदाई करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि कन्याएं अगर खुशी-खुशी आपके घर पर भोजन ग्रहण करती हैं, तो मानो माता ने भी आपका भोग स्वीकार कर लिया। कन्याओं से आशीर्वाद लेते हुए कहें, “हे मां आपकी कृपा सदैव हमारे और हमारे परिवार के ऊपर बनी रहे। सभी स्वस्थ्य रहें, समाज, देश का कल्याण हो।” इसके बाद जयकारे जरूर लगाएं।
मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षादौर सुरैरमरै रवि
सेव्यमाना सदभूयात सिद्धिदा सिद्धिदायनी
आरती
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जब भी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मुर्ति को मन में धरे जो।।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पे मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धि देती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।
नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)
ये खबरें भी पढ़ें-