Corruption Case: सोशल प्लेटफार्म पर घिरी योगी सरकार, लोगों ने पूछा, “इरफान सोलंकी को जेल, प्रो. विनय पाठक पर योगी सरकार क्यों है फेल, कुलपति के घर कब कुर्की…? “
आगजनी और रंगदारी मामले में करीब महीना भर से फरार चल रहे सपा विधायक ने खुद को उस दिन पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया, जिस दिन उनके घर पर कुर्की की नोटिस चस्पा होने वाली थी। बताया जा रहा है करीब 25 दिन से इरफान सोलंकी और उनके भाई फरार चल रहे थे। फिलहाल सरेंडर होने के बाद ही उनको 14 दिन का न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इस पूरे मामले के होने के बाद ही योगी सरकार पर उंगली उठने लगी है। दरअसल इसी तरह मामला शिक्षा जगत से है, जो कि इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी मामले को लेकर लोग योगी सरकार को घेर रहे हैं ओर सोशल मीडिया पर ये सवाल पूछा जा रहा है कि इरफान सोलंकी तो 25वें दिन जेल चले गए।
उनके घर की कुर्की का आदेश भी हो गया था, लेकिन छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है और एसटीएफ ढूंढ रही है, तो उनके घर की कुर्की कब होगी, जबकि उनको भी फरार हुए करीब 25 दिन से अधिक हो गया है। सोशल मीडिया पर लोग योगी सरकार से पूछ रहे हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में फंसे प्रो. पाठक पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, वह अभी तक अपने पद (कुलपति) पर बरकार क्यों हैं। बता दें कि करीब एक महीने से अधिक होने के बावजूद प्रो. पाठक अपने पद पर बने हुए हैं। जबकि उन पर भ्रष्टाचार के तमाम गंम्भीर आरोप लगे हैं।
बता दें कि कुलपति प्रो. विनय पाठक पर FIR दर्ज है। कोर्ट ने भी प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध डिक्लेयर कर दिया है, जिसके अपराध के टनो कागजात सामने आ चुके हों, वह अभी तक पद पर विराजमान है। इस मामले को लेकर राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल पर भी लोग उंगली उठा रहे हैं। मीडिया सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने दो नोटिस देने के अलावा कुछ नहीं किया। इन सब तथ्यों को लेकर लोग इस बार पर दावा ठोक रहे हैं कि इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश की सरकार मिली हुई है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। कहा जा रहा है कि योगी सरकार केवल एक धर्म व कुछ जाति विशेष पर ही कार्रवाई कर रही है, लेकिन अपनों पर महेरबानी बनाए हुए है।
फिलहाल इस पूरे मामले से शिक्षा जगत में योगी सराकर की जमकर थू-थू हो रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचारियों को जो पनाह दे रही है, उसका खामियाजा उसे आने वाले चुनावों में भोगना पड़ सकता है।