Covid-19: कोरोना से ठीक हो चुके अधिकतर लोगों की यादाश्त हुई कमजोर, घट गई तर्क करने की क्षमता, IQ में भी गिरावट, पढ़ें ये शोध

March 6, 2024 by No Comments

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Covid-19: कोरोना महामारी (Covid-19) भले ही अब विश्व स्तर पर काफी कंट्रोल में आ गया हो लेकिन इसके शिकार लोग इसके दुष्परिणाम झेलने के लिए मजबूर हैं. लॉन्ग कोविड का जोखिम अब भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। कोरोना को लेकर हुए कई शोध की सामने आई रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस ने शरीर को दीर्घकालिक रूप से कई प्रकार से क्षति पहुंचाई है। विशेषतौर पर हृदय, फेफड़ों की सेहत पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं. तो हाल के दिनों में सामने आए एक अध्ययन में कोरोना के कारण मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं को लेकर भी अलर्ट किया जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया, कोरोना संक्रमण का शिकार रहे कई लोगों को बीमारी से ठीक होने के बाद संज्ञानात्मक क्षमता में कमी महसूस हो रही है। लोगों को चीजें याद रखने में मुश्किल हो रही है तो वहीं तर्क करने की क्षमता में भी गिरावट आई है. यहां तक कि IQ में भी गिरावट दर्ज की गई है.

हाल ही में एक शोध प्रकाशित हुआ है, जिसमें विशेषज्ञों की टीम ने बताया, जो लोग कोविड-19 से ठीक हो गए, उनमें एक साल बाद तक आईक्यू लेवल में कम से कम 3-पॉइंट तक की कमी देखी गई है। वैसे तो ये गिरावट ज्यादा नहीं है पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि बड़ी आबादी में मस्तिष्क से संबंधित जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता है। मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में आई कमी का क्वालिटी ऑफ लाइफ पर भी नकारात्मक असर हो सकता है।

तो वहीं द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस शोध में जानकारी दी गई है कि, कोरोना संक्रमण के हल्के और गंभीर दोनों प्रकार के मामले वाले लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट देखी जा रही है. शोध में बताया गया है कि, जिन लोगों में अधिक गंभीर लक्षण थे या फिर जिन्हें अस्पताल की इंटेंसिव केयर में इलाज की आवश्यकता थी, उनमें आईक्यू में 9-पॉइंट तक की कमी रिपोर्ट की गई है। संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में स्मृति, तर्क और परिस्थितियों से सहजता से निपटने की क्षमता कम हो गई है।
अध्ययन में क्या पता चला?

तो वहीं इंपीरियल कॉलेज लंदन में जो अध्ययन किया गया है उसके लिए शोधकर्ताओं ने आठ लाख वयस्क प्रतिभागियों को शामिल किया। प्रतिभागियों की बौद्धिक क्षमता की जांच के लिए उनका ऑनलाइन मूल्यांकन किया गया। इस तरह से कुल मिलाकर, 141,583 प्रतिभागियों ने कम से कम एक कार्य पूरा किया जबकि 112,964 ने सभी आठ कार्यों को ठीक तरीके से किया।

इस तरह से शोध में पाया गया कि, कोरोना का शिकार न रहे लोगों से किए गए तुलनात्मक अध्ययन में संक्रमितों में बौद्धिक क्षमता में कमी पाई गई, जिन लोगों में जिस स्तर का संक्रमण था उनमें आईक्यू में उसी अनुपात में गिरावट पाई गई.

अध्ययनकर्ताओं ने ये भी बताया है कि जो लोग कोरोना के मूल वायरस या B.1.1.7 वैरिएंट से महामारी की शुरुआत में संक्रमित रहे उनमें बौद्धिक क्षमता में कमी की दिक्कत उन लोगों की तुलना में अधिक देखी गई है जो ओमिक्रॉन वैरिएंट्स के दौरान संक्रमित रहे हैं। इसके अलावा जिन लोगों को दो या दो से अधिक टीके लगने के बाद कोविड-19 हुआ, उन्होंने उन लोगों की तुलना में बेहतर संज्ञानात्मक प्रदर्शन देखा गया है, जिन्हें टीका नहीं लगाया गया था।

जानें क्या निकला है अध्ययन का निष्कर्ष?

अध्ययन के निष्कर्ष को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि,” कोरोना वायरस ने कई प्रकार से संपूर्ण शरीर को क्षति पहुंचाई है। पोस्ट कोविड में ब्रेन फॉग से लेकर लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विकार भी देखे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हल्के लक्षण वालों में खतरा नहीं है, कोरोना का किसी भी स्तर का संक्रमण लॉन्ग कोविड और इससे संबंधित जोखिमों को बढ़ाने वाला पाया गया है।”

इसी के साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञ ये भी कहते हैं, अगर आप संक्रमण के शिकार रहे हैं तो डॉक्टर से मिलकर संपूर्ण स्वास्थ्य की जांच जरूर करा लेनी चाहिए, जिससे समय रहते जोखिमों का पता लगाकर उसका इलाज प्राप्त किया जा सके।

स्रोत और संदर्भ
Cognition and Memory after Covid-19 in a Large Community Sample

Disclaimer: खबर स्टिंग की हेल्थ अपडेट कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर लिखे जाते हैं. लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं या निर्देशों व सुझावों का पालन करने से पहले अपने विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें.