Sakat Chauth-2024: सकट चौथ की पूजा में भूलकर भी न करें ये गलती, देखें शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय, पढ़ें कथा
Sakat Chauth-2024: माघ कृष्ण चतुर्थी को सनातन धर्म के लोग सकट चौथ के रूप में मनाते हैं. इस बार सकट चौथ (Sakat Chauth) 29 जनवरी यानी सोमवार को पड़ रही है. संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए माताएं इस व्रत को करती हैं। इस सम्बंध में पं. रवि शास्त्री बताते हैं कि यह व्रत हर साल माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन पड़ता है। इसे सकट चौथ के अलावा संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी भी कहते हैं। मान्यता है कि सकट चौथ के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है संतान के जीवन में आने वाली सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत माता पार्वती ने कार्तिकेय से मिलने और भगवान शंकर ने माता पार्वती को खुश करने के लिए किया था। तो वहीं इस बार सोमवार को दिन होने के साथ ही सकट चौथ का महत्व और भी बढ़ गया है.
जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
पंडित रवि शास्त्री बताते हैं कि, माघ माह में आने वाली सकट चौथ का खास महत्व है. इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस बार सोमवार का दिन होने से ये व्रत खास हो गया है क्योंकि शिव जी के पुत्र गणेश जी हैं और इस दिन अगर गणेश जी के साथ ही शिव जी की भी पूजा करें तो लाभ मिलेगा. इस दिन माताएं संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी को यानी कल रखा जाएगा. सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैसे तो हर महीने में होता है लेकिन माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की महिमा सबसे ज्यादा है. इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें. पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें. पूजा के वक्त गणेश भगवान के साथ लक्ष्मी जी की भी मूर्ति रखे. दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद रात में चांद को अर्घ्य दें. इसके बाद गणेश जी की पूजा कर फलहार करें. फलहार में सेंधा नमक का भी सेवन ना करें. या इस व्रत को परम्परागत तरीके से करें.
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 29 जनवरी को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से
चतुर्थी तिथि समापन- 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- रात 9 बजकर 10 मिनट
पूजा में भूलकर भी न करें ये गलती
भगवान गणेश की पूजा में भूलकर भी तुलसी दल का इस्तेमाल न करें। एक कथा के मुताबिक तुलसी ने गणेश की तपस्या भंग की थी, जिसके बाद भगवान ने तुलसी को अपनी पूजा में शामिल नहीं करने का श्राप दिया था। व्रती महिलाओं को काले रंग का कपड़ा नहीं पहनना चाहिए। व्रती महिलाओं को कंदमूल वाले फल या सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)