हिंदुस्तान की अमर आवाज, भारत रत्न स्वरकोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन, जानें रानी मुखर्जी के दादा ने क्यों कर दिया था इंकार और गायिकी का सफर
मुंबई। हिंदुस्तान की अमर आवाज, भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र निधन होने पूरे कला जगत, बालीवुड से लेकर विदेश में रह रहे उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। रविवार की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 11 जनवरी को कोरोना महामारी से संबंधित जटिलताओं के कारण उनको भर्ती कराया गया था और तभी से उनका इलाज चल रहा था। मालूम हो कि हाल ही में कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का भी निधन हो गया था। एक महीने के अंदर ही फिल्म व कला जगत की दो महान हस्तियों के निधन के बाद पूरा देश शोकाकुल है।
नहीं की थी शादी
लता मंगेशकर को सभी लता दीदी कहकर पुकारते थे। उनके परिवार में भाई-बहन, पाश्र्व गायिका और संगीतकार मीना खादिलकर, लोकप्रिय गायिका और लेखिका आशा भोसले, गायिका उषा मंगेशकर और संगीत निर्देशक हृदयनाथ मंगेशकर है। अपने परिवार में सबसे बड़ी होने और जिम्मेदारी उठाने के कारण उन्होंने कभी शादी नहीं की। मीडिया सूत्रों की मानें तो 1996 से 1999 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय राज सिंह डूंगरपुर के वह बेहद करीब थीं।
ये मिले सम्मान
भारत में सबसे ज्यादा उनके गाए गाने ही पसंद किए जाते रहे हैं। उनकी आवाज हर एक गाने में जान डाल देती था और जो सुनता है उसकी रूह में उतर जाती है। ऐसी लोकप्रिय गायिका को लता दीदी को तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, सात फिल्मफेयर पुरस्कार और 1989 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2001 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
इस तरह बनीं पहली भारतीय महिला
1974 में लता मंगेशकर ने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में अपनी गायिकी का प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय थी। उन्होंने 1942 में एक फिल्म के लिए पहला गाना रिकॉर्ड किया था, जो ‘किती हसाल’ था, जिसे फिल्म से बाद में हटा दिया गया था। शास्त्रीय गायक, मराठी रंगमंच अभिनेता और संगीत नाटकों के लेखक दीनानाथ मंगेशकर और उनकी पत्नी शेवंती (शुधमती) के घर 28 सितंबर, 1929 को इंदौर की तत्कालीन रियासत में जन्मी लता मंगेशकर का नाम मूल रूप से उनके माता-पिता ने हेमा रखा था। जो कि बाद में अपने पिता के संगीत नाटकों में से एक लतिका के चरित्र के बाद लता कर दिया गया था।
पांच साल की उम्र से ही जुड़ गईं थीं कला क्षेत्र से
लता मंगेशकर मात्र पांच साल की उम्र में ही कला क्षेत्र से जुड़ गईं थीं। वह अपने पिता के संगीत नाटकों में दिखाई देने लगीं थी। यह सिलसिला 1942 में उनके पिता की अकाल मृत्यु के बाद भी जारी रहा। उनके पिता के अच्छे दोस्त, अभिनेता और निर्देशक मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटक) की बदौलत लता मंगेशकर का सफर जारी रहा। मास्टर विनायक लता मंगेशकर को मुंबई ले गए थे और उनका मराठी सिनेमा की दुनिया में मार्ग प्रशस्त किया। उन्हें भिंडी बाजार घराने के उस्ताद अमन अली खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलाई। इसके बाद उन्हें वसंत देसाई, वी शांताराम से मिलवाया।
इस तरह मिला था पहला ब्रेक लेकिन पहले रानी मुखर्जी के दादा ने किया था इंकार
1948 में मास्टर विनायक की मृत्यु के बाद लता जी को संगीतकार गुलाम हैदर ने फिल्म ‘मजबूर’ (1948) के ‘दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा’ गीत के साथ पहला बड़ा ब्रेक दिया था। हैदर उन्हें अपनी फिल्म ‘शहीद’ (1948) के लिए फिल्मिस्तान के बॉस शशाधर मुखर्जी के पास ले गए, जो काजोल और रानी मुखर्जी के दादा थे लेकिन उन्होंने उनको मना कर दिया क्योकि उन्हें आवाज बहुत पतली लगी थी लेकिन लता मंगेशकर ने उन्हें ठीक एक साल बाद तब गलत साबित कर दिया था, जब कमाल अमरोही के निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘महल’ (1949) में खूबसूरत मधुबाला पर फिल्माया गया उनका गाना ‘आयेगा आने वाला’ हिट हो गया। इसके सालों बाद उन्होंने मुखर्जी की पोती काजोल और शाहरुख खान की फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के गीत, ‘मेरे ख्वाबों में’ के साथ ही फिल्म के सभी गाने गाए।
फिर नहीं देखा पीछे मुड़कर
‘महल’ के बाद से लता मंगेशकर ने अनिल बिस्वास से लेकर एसडी बर्मन, नौशाद , मदन मोहन, शंकर-जयकिशन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी के साथ कई हिट गाने गाए। उन्होंने हर समकालीन संगीतकार के साथ काम किया, जिसमें आनंद-मिलिंद, चित्रगुप्त के बेटे, अनु मलिक, सरदार मलिक के बेटे, इलैयाराजा और एआर रहमान जैसे कई दिग्गज शामिल है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने करियर में 13 राज्यों के संगीत निर्देशकों के साथ काम किया।
इस तरह बनीं पाश्रर्व गायिका
नूरजहां के पाकिस्तान चले जाने के बाद लता मंगेशकर हर फिल्म निर्माता और संगीतकार के लिए पाश्र्व गायिका बन गईं थीं। उन्होंने उन्हें निराश नहीं किया।
लता मंगेशकर ने ‘अल्लाह तेरो नाम’ और ‘रंगीला रे’ से लेकर ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, टाइटल ट्रैक तक, ‘रंग दे बसंती’ में ‘लुक्का छुपी’ तक, हिंदी सिनेमा में चार्ट-टॉपिंग नंबरों को अपनी आवाज देकर लोगों की जुबां पर चढ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने मराठी में गीतों के अलावा, बंगाली, तमिल, कन्नड़, मलयालम और सिंहल में भी गाने गाए।
दर्ज है गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में नाम
1974 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस ने लता मंगेशकर को मानव इतिहास में सबसे अधिक गाना गाने के लिए उनका नाम दर्ज किया। जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 1948 और 1974 के बीच 20 भारतीय भाषाओं में कम से कम 25,000 एकल, युगल और कोरस समर्थित गाने रिकॉर्ड किए थे। गायक मोहमम्द रफी की मृत्यु के बाद, गिनीज बुक ने अपने 1984 के संस्करण में लता मंगेशकर को ‘मोस्ट रिकॉडिर्ंग्स’ के लिए अपनी प्रविष्टि में सूचीबद्ध किया, लेकिन इसने रफी के दावे को भी दर्ज किया। गिनीज बुक के बाद के संस्करणों में कहा गया है कि लता मंगेशकर ने 1948 से 1987 तक 30,000 से कम गाने नहीं गाए थे।
दिवंगत यश चोपड़ा ने गायिका के 75वें जन्मदिन के अवसर पर बीबीसी डॉट कॉम के लिए लिखे एक लेख में कहा था कि मुझे उनकी आवाज में भगवान का आशीर्वाद दिखाई देता है। हम धन्य हैं कि वह आवाज हमेशा हमारे साथ रहेगी। हम भारतीयों के साथ रहेगी। जब भी भारत का नाम लिया जाएगा, स्वर कोकिला लता मंगेशकर का नाम खुद ब खुद दोहरा दिया जाएगा।