Kamika Ekadashi: कामिका एकादशी पर इस तरह करें पूजा, पढ़ें ये कथा

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Kamika Ekadashi: श्रावण (सावन) कृष्ण एकादशी को कामिका (Kamika Ekadashi) अथवा कामदा (Kamada) एकादशी कहते हैं। बता दें कि सनातन धर्म में साल भर में 24 एकादशियां पड़ती हैं और सभी को अलग-अलग नामों के पुकारा व मनाया जाता है. तो वहीं कामिका एकादशी को पवित्रा व कामदा एकादशी भी कहा जाता है। आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि इस दिन भगवान श्रीधर की पूजा की जाती है।

आचार्य बताते हैं कि इस दिन सुबह ही स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान करा कर भोग लगाना चाहिए। फिर आचमन के बाद धूप, दीप, चंदन, नैवेद्य तथा तुलसी से भगवान की पूजन कर आरती उतारनी चाहिए। इस व्रत के करने से सभी कामनाओं की पूर्ती होती है और ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इस विधि से करें पूजा

कामिका एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लेने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद इस दिन की पूजा के लिए घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है. भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कते हुए पीले रंग का पुष्प चढ़ाएं और दीप धूप से उनकी आरती करें. इसके बाद कामिका एकादशी की कथा सुने अथवा जिस भी परम्परागत तरीके से आपके घर में एकादशी मनाई जाती है, वैसे मनाएं.

अगले दिन सुबह करें ये काम
एकादशी के अगले दिन सुबह उठते स्नान आदि से मुक्त होने के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं और ब्राम्हणों को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करें. इस दिन भगवान विष्णु की कथा सुनने से घर परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. वहीं भगवान विष्णु की कृपा से सभी तरह के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.

कथा
प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक गांव में एक ठाकुर रहता था। वह क्रोधी स्वभाव का था। एक दिन ठाकुर की हाथापाई एक ब्राह्मण से हो गई, जिससे ठाकुर के हाथों ब्राह्मण की हत्या हो गई। इस पर ठाकुर ने उस ब्राह्मण की तेरहवीं क्रिया करनी चाही तो सभी ब्राह्मणों ने क्रिया में शामिल होने और भोजन करने के इंकार कर दिया। इस पर ठाकुर ने सभी ब्राह्मणों से निवेदन किया और पूछा कि “भगवन मेरा यह पाप किस प्रकार दूर होगा”, इस पर ब्राह्मणों ने सलाह देते हुए बताया कि तुम श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर पड़ने वाली कामदा एकादशी का व्रत करो और भगवान श्रीधर का पूजन करो और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराओ। तभी तुम्हारे पापों का प्रायश्चित होगा।

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)