महालय (पितृपक्ष) आज से शुरू: पत्नी अथवा बेटी के बेटे भी कर सकते हैं श्राद्ध कर्म, देखें किस मंत्र से प्रसन्न होते हैं पितर

November 27, 2021 by No Comments

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों की पूजा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। कहते हैं कि अगर पितर खुश तो पीढ़ी दर पीढ़ी खुशहाली बनी रहती है। इस बार पितरों की पूजा का विधान जिसे पितृपक्ष और महालय भी कहते हैं 20 सितम्बर दिन सोमवार से शुरू हो रहा है। आचार्य विनोद मिश्रा बताते हें कि जिन लोगों के पितरों ने पूर्णिमा तिथि को शरीर का त्याग किया है केवल वे ही 20 तारीख, पूर्णिमा से अपने पितरों को जल देना व श्राद्ध कर्म करना शुरू करेंगे। अन्य सभी 21 से पितरों को जल देंगे तथा अपनें पितरों की तिथि के अनुसार श्राद्ध करेंगे। जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (बेटी के बेटे) भी कर सकते हैं।  अगर ये भी न हों तो पत्नी भी अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है। 

क्या करें
श्राद्ध के दिनों में भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए। 

श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार नीचे दिए मंत्र का जाप करें
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमोनमः।।

इस मंत्र से प्रसन्न होते हैं पितर
श्राद्ध में नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है और संतुष्ट पितर अपनी पीढ़ीयों व कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं। 
    ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा।

ये काम न करें
पूजा के समय गंध रहित धूप की ही केवल प्रयोग करें। बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें। 

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