महंत नरेंद्र गिरि की भू-समाधि में डाला गया कई क्विंटल पंचमेवा, दूध और मक्खन सहित 16 चीजें, जानें महंत की गद्दी तक पहुंचने में कितना किया त्याग, देखें वीडियो
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज इन दिनों देश दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। भला हो भी क्यों न, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की अचानक मौत की खबर जो सामने आई। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि इतना सकारात्मक विचार रखने वाले महंत भला आत्महत्या का कदम उठाने को भी मजबूर हो जाएंगे। सभी को यह पूरी घटना किसी साजिश का हिस्सा लग रही है। इसी वजह से तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने SIT को उनकी मौत की जांच का पूरा मामला सौंप दिया है। हालांकि उनकी मौत की CBI जांच कराने की मांग भी चल रही है। फिलहाल अपनी मौत के पीछे तमाम रहस्यों को छोड़ गए महंत को बुधवार को पूरे विधि-विधान से भू-समाधि दे दी गई। भू-समाधि के वक्त एक क्विंटल फूल, एक क्विंटल दूध, एक क्विंटल पंच मेवा, मक्खन समेत 16 चीजें समाधि में डाली गईं।
फूलपुर में जन्में थे बुधऊ, “नरेंद्र गिरि”
ब्रह्मलीन हो चुके महंत नरेंद्र गिरि को लोग पहले स्नेह से ‘बुधऊ’कह कर बुलाते थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फूलपुर जिले के चटौना गांव में हुआ था। उनके पिता भानु प्रताप सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सक्रिय सदस्य थे। मीडिया से बात करते हुए उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि बचपन में उनको मजाकिया अंदाज में ‘बुद्धू’ बोला जाता था। फिर बाद में यही नाम ‘बुधऊ’ में बदल गया। ‘बुधऊ’ ने अपने शुरुआती साल गिरदकोट गांव में अपने नाना के यहां बिताए थे। वह बचपन से ही संतों और महंतों के साथ तुरंत घुल-मिल जाते थे। एक दिन उन्होंने घर छोड़ दिया। इसके बाद परिवार ने बहुत कोशिश की उन्हें वापस लाने की,लेकिन वह नहीं लौटे। बाद में परिवार ने उन्हें हाई स्कूल पूरा करने के लिए मना लिया था, जिसकी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बैंक में नौकरी मिल गई। इसके बाद जैसे ही उनकी शादी की चर्चा परिवार में शुरू हुई तो बुधऊ फिर से घर से भाग गए और फिर कभी लौट कर नहीं आए।
महंत के रूप में केवल एक बार घर गए थे नरेंद्र गिरि
महंत नरेंद्र गिरि के मामा महेश सिंह ने अपनी यादाश्त पर जोर देते हुए बताया कि उनके घर से जाने के काफी सालों एक दिन हमारे पास फोन आया और फोन करने वाले ने कहा कि मैं महंत नरेंद्र गिरी बोल रहा हूं। इसके बाद मालूम हुआ कि हमारा बुद्धू अब एक महंत बन चुका था। महंत बनने के बाद नरेंद्र केवल एक बार अपने घर आए थे तो परिवार ने उन्हें एक संत के रूप में सम्मान दिया था। हालांकि वह संत बनने के बाद ही अपने सारे सम्बंध परिवार से तोड़ चुके थे। वह अक्सर घर के पास स्थित एक कॉलेज में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने आते, लेकिन घर कभी नहीं जाते। और तो और परिवार के किसी भी सदस्य से कभी भी उन्होंने कोई सम्बंध बनाए रखने की कोशिश नहीं की। वह बचपन से ही सकारात्मक विचार रखने वाले और आत्मविश्वास से भरे रहने वाले थे। वह आत्महत्या को अपनाने वाले व्यक्ति नहीं थे।
2016 में बने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख
2016 में नरेंद्र गिरि को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख के पद पर विराजमान किया गया था। इसके बाद उन्होंने काफी प्रतिष्ठा, मान-सम्मान हासिल किया। संत समाज के साथ ही आम नागरिक से लेकर राजनीति जगत में भी उनका सम्मान होता था। देश के हर बड़े से बड़े मुद्दों पर वह मुखर होकर अपनी राय रखते थे। राम मंदिर मामले में भी उन्होंने अपने विचार खुलकर रखे थे। जब राम मंदिर निर्माण शुरू हुआ, तो वह खासे खुश दिखाई दे रहे थे।
शिष्य आनन्द गिरि (नीचे बैठा) , महंत नरेंद्र गिरि से माफी मांगते हुए
शिष्य आनन्द गिरि ने उनकी छवि धूमिल करने की की थी कोशिश
उनके शिष्य आनंद गिरि ने उनकी छवि को धूमिल करने की हर सम्भव कोशिश की थी। न जाने कितने ही वीडियो आनन्द ने उनके खिलाफ जारी किए थे। आनन्द ने उन पर कई आरोप लगाए थे, बाद में जिसके लिए उसने खुद मौखिक और लिखित माफी मांग ली थी, लेकिन इन सब से कहीं न कहीं महंत नरेंद्र गिरि को आत्मिक ठेस लगा था। सोमवार को उनकी आत्महत्या की खबर सामने आने पर पूरा देश स्तब्ध रह गया। किसी को भी इस पर भरोसा नहीं हो रहा था।
फिलहाल मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई है। जल्द ही साजिश का खुलासा होगा। बता दें कि उनके मरने के बाद उनके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने आनन्द गिरी से हुए विवाद से खुद को आहत बताया है। इसके बाद पुलिस ने आनन्द गिरी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बता दें कि विवाद कुछ जमीनों के सौदे को लेकर सामने आ रहे हैं। इसी के साथ आनन्द पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगा है। मठ की सम्पत्ति को गलत तरीके से इस्तेमाल करने और संत होने के बाद भी अपने परिवार से सम्बंध रखने व उनको मठ का पैसा मुहैया कराने का भी आरोप लगा है। बता दें कि बाघंबरी मठ को सबसे धनी मठों में से एक माना जाता है, जिसके पास अपार संपत्ति है।
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