MARTYR MAJOR MAYANK VISHNOI: बड़े ही दरियादिल थे मयंक, देखिए क्या-क्या चींजें कर देते थे दान
लखनऊ/मेरठ। अब वो लाल भले ही अपनी धरती माता की गोद में हमेशा के लिए सो गया हो, लेकिन उनकी दरियादिली को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी यादें उन्हें हमेशा ही देशवासियों के दिलो-दिमाग में जीवित रखेंगी। मेजर मयंक विश्ननोई ने रविवार को अपने देश को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी बातें और उनके विचार व उनके द्वार किए गए कार्य उनको हमेशा ही लोगों के अंदर जीवित रखेंगे।
इसी तरह अंतिम यात्रा के दौरान फूट-फूट कर रोते हुए उनकी दीदी ने कहा कि मेरा भाई हमेशा ही हर ऑपरेशन में सबसे आगे रहता था। इतना दरियादिल था कि हमेशा ही अपनी चीज बिना किसी झिझक के सबको दे देता था। हाल ही में उसने अपना शौर्य चक्र एक सेना के अधिकारी को तब भेंट कर दिया था जब वो रिटायर हो रहे थे। उनके सम्मान में मयंक ने अपना शौर्य चक्र उन्हें दे दिया। बता दें कि 14 अगस्त 2021 को सेना मेडल की सूची के 30वें नंबर पर मेजर मयंक का नाम एक बार फिर स्वर्णिम अक्षरों में शामिल किया गया था।
रविवार को उनकी अंतिम यात्रा के दौरान परिवार वालों का हाल बुरा था। बहन, पत्नी और मां, रो-रो कर बेहोश हो जा रहे थे। रोते-रोते पिता कह रहे थे कि मेरा बेटा बहादुर था। अब वह ऐसी दुनिया में चला गया है, जहां से लौटकर नहीं आएगा। अब भला कैसे सुनूंगा उसके मुंह से पापा। उन्होंने रोते हुए कहा कि उससे 24 अगस्त को अंतिम बार बात हुई थी। तो उधर मां का भी हाल इतना बुरा हो गया है कि रोते-रोते वह बेहोश हो जा रही हैं। जब भी उनको होश आता है, बस यही चिल्ला रही हैं कि एक बार बस एक बार तू लौटकर आ जा मेरे लाल। हमें ऐसे ही छोड़कर क्यों चला गया। तेरे बिना हम कैसे जिएंगे।
तो वहीं बड़ी बहन तनु का भी रो-रो कर बुरा हाल है। कहती हैं कि उनको हमेशा मयंक सिरदर्द की गोली खाने के लिए मना करता था और कहता था कि गोली खानी है तो देश के लिए खाओ। गौरतलब है कि शोपियां में 27 अगस्त को हुई एक आतंकी मुठभेड़ में मेजर मयंक विश्नोई के सिर में गोली लग गई थी। गंभीर हालत में उन्हें उधमपुर के सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। करीब 15 दिन चले इलाज के बाद मयंक ने शनिवार को अंतिम सांस ली और देश के लिए शहीद होने वाले मां भारती के सपूतों में अपना नाम भी शामिल कर लिया। (सभी फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
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