Mother’s Day-2024: वत्सल चित्रकला प्रदर्शनी में दिखती हैं मां की संवेदनाएं… कला प्रेमियों को लगा तांता
Mother’s Day-2024: कलादीर्घा दृश्य कला पत्रिका एवं कला स्रोत कला वीथिका, लखनऊ द्वारा अलीगंज में आयोजित वत्सल अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी में दूसरे दिन सोमवार को भी लखनऊ के कला प्रेमियों के आने जाने का क्रम बना रहा। बता दें कि इस कला प्रदर्शनी का उद्घाटन मदर्स डे यानी रविवार को हुआ था जो कि 19 मई तक दोपहर 2:00 से 7:00 बजे तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।
कला प्रदर्शनी का उद्घाटन इतिहासविद आचार्य शोभा मिश्र और प्रख्यात वक्ता एवं कला संरक्षक आत्म प्रकाश मिश्र द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया था. प्रदर्शनी के सहभागी कलाकारों को अभिनंदन पत्र एवं प्रदर्शनी पुस्तिका देकर अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। प्रदर्शनी अवलोकन के उपरांत वरिष्ठ कलाकार एवं कला दीर्घा अंतर्देशीय दृश्य कला पत्रिका के संपादक डॉ अवधेश मिश्र ने कहा कि कलाओं को लोकाश्रयी होना चाहिए। अभिभावकों को भी ध्यान देना चाहिए कि बच्चों में कलाओं के साहचर्य का बचपन से ही एक संस्कार बने, ताकि उनके जीवन में सकारात्मकता बनी रहे और समाज भी उससे लाभान्वित हो सके।
कला और इतिहास का घनिष्ठ सम्बंध है
मुख्य अतिथि प्रोफेसर शोभा मिश्र ने कहा कि आज कलाकृतियों का आस्वाद करने के बाद यह महसूस हुआ कि कला और इतिहास का घनिष्ठ संबंध है और मातृ दिवस पर इस प्रदर्शनी का आयोजित होना दिवस की सार्थकता को और पुष्ट कर रहा है। विशिष्ट अतिथि आत्मप्रकाश मिश्र ने कहा कि हम जिस संस्कृति के संवाहक हैं, उसमें हमेशा स्त्रियों को ही आगे रखा गया है जैसे सीताराम, राधेश्याम, गौरीशंकर आदि। बाद में पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभाव से स्त्रियों को कुछ कम आंका जाने लगा लेकिन स्त्रियों के महत्व और विशेषकर मां के महत्व को कम नहीं किया जा सकता।
वत्सल भाव मां का अपने बच्चों के प्रति होता है
अतिथियों, कलाकारों, कला प्रेमियों और मीडिया को धन्यवाद करते हुए प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ लीना मिश्र ने कहा कि जिस प्रकार का वत्सल भाव किसी भी मां का अपने बच्चों के प्रति होता है, ठीक वही भाव कलाकारों का अपनी कलाकृतियों के प्रति भी। इसलिए आज पूरी दुनिया में आयोजित किए जा रहे मातृ दिवस के उत्सव को वत्सल प्रदर्शनी के कलाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से साकार कर दिया है। डॉ लीना मिश्र ने कला स्रोत कला वीथिका द्वारा उत्तर प्रदेश के कला परिदृश्य में दिए जा रहे अवदान को भी सराहा और निदेशक अनुराग डिडवानिया और मानसी डिडवानिया के प्रति आभार प्रकट करते हुए युवा, उत्साही और ऊर्जावान समन्वयकद्वय डॉ अनीता वर्मा और सुमित कुमार को आशीर्वाद दिया। प्रदर्शनी में सहभागी कलाकारों के साथ नगर के कला प्रेमी उपस्थित थे।
बत्तख पर लगाया छाता
वहीं कला प्रदर्शनी के दूसरे दिन दर्शकों ने चित्रों की सराहना की और कलाकारों से चित्रों पर बातचीत की। प्रदर्शनी में डॉ अनीता वर्मा का चित्र जिसमें छोटे बच्चों के खिलौने को संयोजित किया गया है, प्रदर्शनी का आकर्षण बना रहा। खिलौने वाली कार पर बैठी बत्तख जो अपना पर्स लेकर मार्केट जा रही है, सुंदर और चटक रंगों में अभिव्यक्त है। बत्तख का छाता लगाकर खुले आसमान में घूमने जाना दर्शकों को अच्छा लगा।
डोली में दुल्हन
युवा कलाकार सुमित कुमार के चित्र में अपनी मां के जमाने की कहानी जिसमें डोली पर दुल्हन बैठकर जाती थी और गांव के बच्चे बताशा लूटने उसके पीछे-पीछे भागते थे, सभी को उस समय से जोड़ रहा था। मां के जमाने के उत्सव, इमारतें और आलंकारिक तत्वों का अच्छी रंग संगति के साथ व्यक्त किया जाना कलाकारों और कला प्रेमियों को लुभा रहा था। डॉ सचिव गौतम का चित्र जिसमें एक बया अपने बच्चे को दुलार करने के लिए घोंसले पर बैठी है और बच्चा मां की ओर देखते हुए बाहर निकल रहा है, वात्सल्य पर आधारित इस चित्र को बंगाल कला शैली में रचा गया है।
दिखाएं मां के प्रति समर्पण भाव
विस्तार पूर्वक किए गए इस कार्य में दर्शकों को सुरुचिपूर्णता दिख रही थी। मां के वत्सल भाव पर आधारित डॉ अवधेश मिश्र का चित्र जो तैलरंग से रचा गया है, चटक लाल और काले रंग की संगति में ग्राम देवी को चित्रित किया गया है। पक्की मिट्टी से बने हाथी और समारोह की झंडियां रुचिकर लग रही हैं। वत्सल प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ लीना मिश्र ने बताया कि कलाकारों द्वारा वत्सल भाव से चित्रित इन चित्रों की थीम के अनुसार मातृदिवस का उत्सव मनाया गया। यह लखनऊ नगर के कला प्रेमियों के लिए एक अवसर है और ऐसे चित्रों को अपने घर में रखकर अपनी मां के प्रति समर्पण भाव तो दिखाया ही जा सकता है, उनकी संवेदनाओं से जुड़ा जा सकता है।