Prayagraj: 33 सालों से कांटों के बिस्तर पर सो रहे हैं बाबा, ओढ़ी है कांटों की ही चादर…पुलिसिया सलूक से हुए थे आहत, जानें क्या थी घटना, Video
Prayagraj: धर्म की नगरी प्रयागराज में संगम के तट पर इन दिनों माघ मेले की रौनक दिखाई दे रही है. देश के कोने कोने से हजारों की संख्या में संत महात्मा और दूसरे धर्माचार्य आए हुए हैं, लेकिन श्रद्धालुओं के बीच कांटों वाले बाबा खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. यह अनूठे बाबा सड़क के किनारे कांटों के बिछौने पर ही लेटे हुए हैं और कांटों की चादर ही ओढ़ रखी है. कड़ाके की ठंड में जहां एक ओर लोग स्वेटर, कम्बल और रजाई से खुद को ढके हुए हैं तो वहीं ये बाबा बिना शरीर पर कोई वस्त्र पहने सड़क किनारे लेटकर श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं तो वहीं लोग उनको देखकर दांतों तले उंगलियां दबा ले रहे हैं, क्योंकि जरा सा भी एक कांटा अगर शरीर के किसी भी हिस्से में चुभ जाए तो जान निकल जाती है तो ये बाबा सैकड़ों कांटों के बीच लेटे हुए हैं, ऐसे में महसूस किया जा सकता है कि उनको कांटे कितना चुभ रहे होंगे. इसका मात्र अंदाजा ही लगाया जा सकता है.
कांटों पर लेटने की वजह से ही लोग उनको कांटों वाला बाबा बुलाते हैं. उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें वह हाथ में डमरू लेकर कांटों पर लेटे हुए हैं. श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं तो भक्तों में चरण छूकर उनका आशीर्वाद लेने और उनके नाम का जयकारे लगाने वालों का तांता लग जाता है.
इस बात से आहत होकर लेट गए थे कांटों पर
कांटों पर लेटे बाबा का नाम रमेश जी महाराज है और इनकी उम्र करीब 51 साल बताई जाती है. इनका जन्म प्रयागराज के ही एक छोटे से गांव में हुआ था. इनके बारे में कहा जाता है कि, साल 1990 में जब अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए देशभर में आंदोलन हो रहा था. कारसेवा हो रही थी तब रमेश बाबा की उम्र महज सत्रह साल की थी. कारसेवक बनकर वह भी अयोध्या गए, लेकिन वहां रामभक्तों के साथ होने वाले पुलिसिया सलूक से इतने आहत हुए कि रामलला के अपने धाम में विराजमान होने तक कांटों पर ही लेटे रहने का विचित्र संकल्प ले लिया था. बाबा के बारे में कहा जाता है कि, इन 33 सालों तक बाबा अपने संकल्प को लेकर लगातार हठ साधना पर ही कायम रहे और कांटों को ही अपनी जिंदगी बना लिया.
गए थे रामलला के दर्शन करने
तो वहीं पिछले महीने 22 जनवरी को अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कांटों वाले बाबा ने दर्शन भी किया, लेकिन हर तरफ अयोध्या के बाद काशी और मथुरा का सवाल उठने के बाद बाबा ने अब उनकी भी पूर्ण मुक्ति का संकल्प लेकर अपनी साधना को बढ़ा दिया है. इसको लेकर बाबा कहते हैं कि, उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि अयोध्या की तरह सनातन धर्मियों का काशी और मथुरा का सपना भी ज़रूर पूरा होगा.