KHALISTAN:भारत की आजादी से है खालिस्तान का गहरा सम्बंध, जानें पंजाब में क्यों होता रहता है खालिस्तान आंदोलन और क्यों होती रहती है आजादी की मांग, पढ़ें पूरी जानकारी, देखें वीडियो
खालिस्तान का सम्बंध भारत की आजादी से ही माना जाता है। 1947 में जब भारत की आजादी की बात हो रही थी और अंग्रेज भारत को दो देशों में बांटने की योजना बना रहे थे, तभी कुछ सिख नेताओं ने अपने लिए अलग देश खालिस्तान की मांग भी की थी। उनको ये लगा कि यही सही समय है, अपने लिए एक अलग देख की मांग कर लो, लेकिन इसी बीच भारत से अलग होकर पाकिस्तान तो बन गया, लेकिन खालिस्तान नहीं बन सका। आजादी के बाद से ही इस मामले को लेकर कई बार हिंसक आंदोलन पंजाब में हो चुके हैं।
1950
इसके बाद 1950 में अकाली दल नाम का संगठन सामने आया और उसने पंजाबी सूबा नाम से आंदोलन चलाया और पंजाब के अलग करने की मांग करने लगा, लेकिन तत्कालीन भारत सरकार ने पंजाब को अलग करने से साफ इंकार कर दिया था। ये पहला मौका था जब पंजाब को भाषा के आधार पर अलग दिखाने की कोशिश की गई थी। इसी दौरान अकाली दल का उदय हुआ और बहुत कम समय में इस दल ने बेशुमार लोकप्रियता भी हासिल कर ली थी। इसी के साथ पंजाब में प्रदर्शन भी शुरू हो गए थे।
1966
मीडिया सूत्रों की मानें तो आंदोलनों के देखते हुए 1966 में भारत सरकार ने पंजाब को अलग राज्य बनाने की बात को स्वीकार भी कर लिया था लेकिन भाषा के आधार पर हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना भी कर दी। इस पर आकाली दल ये चाहने लगा कि पंजाब की नदियों का पानी किसी भा हाल में हरियाणा और हिमाचल को न दिया जाए। इस बात को मानने से तत्कालीन भारत सरकार ने साफ इंकार कर दिया था।
1970-71-80
1970 में खालिस्तान को लेकर कई घटनाएं सामने आई।1971 में जगजीत सिंह चौहान नें अमेरिका जाकर वहां के स्थानीय एक अखबार में खालिस्तान राष्ट्र के नाम पर एक पेज का विज्ञापन प्रकाशित करवाया और इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए चंदे की मांग भी की थी। इसके बाद 1980 में खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद का निर्माण कर वह उसका मुखिया बन गया। लंदन में तो उसने खालिस्तान देश का डाक टिकट तक जारी करा दिया था। इससे पहले की बात करें तो 1978 में चौहान ने आकालियों के साथ मिलकर आनन्दपुर साहिब के नाम संकल्प पत्र भी जारी करा दिया था। इसी के साथ उसने अलग खालिस्तान देश को सामने रखा।
1980-1984
80 के दशक में खालिस्तान को लेकर आंदोलन पूरे रौ पर था। विदेश में रहने वाले सिख इसको खुलकर वित्तीय समर्थन दे रहे थे। इसी दौरान पंजाब में जनरैल सिंह भिंडरावाले का इदय हुआ और वह खालिस्तान का सबसे मजबूत नेता के रूप में उभर कर सामने आया। उसने इस आंदोलन को चलाने के लिए स्वर्ण मंदिर के हरमंदिर साहिब को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया और फिर पूरे पंजाब में इस आंदोलन को उग्र कर दिया था। इस आंदोलन को बढ़ते देख और देश में हिंसक मामले सामने आने के बाद 1984 में तत्कालीन भारत सरकार ने आपरेशन ब्लू स्टार के तहत सैन्य कार्रवाई की और इस आंदोलन को नेस्तानाबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई, लेकिन इसके बाद भी खालिस्तान आंदोलन खत्म नहीं हुआ। इसके बाद कई छोटे-बड़े संगठन बनें और आंदोलन जारी रहा।
खालिस्तान ने भारत में कई बड़ी घटनाओं को दिया अंजाम
84 के बाद खालिस्तान और भी उग्र आंदोलन करने लगा। 23 जून 1985 को एयर इंडिया के विमान को विस्फोट से उड़ा दिया गया था, जिसमें 329 लोगों की मौत हो गई थी। जो सिख इस घटना का दोषी था, उसने इस घटना को भिंडरवाला की मौत का बदला बताया था।
10 अगस्त 1986 को पूर्व आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की भी हत्या कर दी गई थी। वैद्य ने ही ऑपरेशन ब्लू स्टार को लीड किया था। इस वारदात की जिम्मेदारी खालिस्तान कमांडो फोर्स नाम के एक संगठन ने ली थी।
31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के पास बम विस्फोट हुआ था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस घटना में 15 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। बता दें कि इन सभी घटनाओं को खालिस्तान आंदोलन से जोड़कर देखा जाता है और कई दूसरे देशों में बैठकर भी खालिस्तान समर्थक भारत में कट्टरवादी विचारधारा को हवा देते रहते हैं और पाकिस्तान से भी इसके तार जुड़े होने की खबर सामने आती रहती है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है।
खालिस्तान की मांग करने वाले संगठन
बब्बर खालसा इंटरनेशल, जिसका चीफ वाधवा सिंह है। इसके तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं। 5 मई 2022 को करनाल में पुलिस ने विस्फोटकों के साथ चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में खुलासा हुआ है कि ड्रोन के जरिए पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंदा ने हथियार पहुंचाए थे। इस बड़ी घटना के बाद से एक बार फिर से खालिस्तान आतंकी संगठन चर्चा में आ गया है। इस घटना के दूसरे दिन ही अर्थात 6 मई को पंजाब में आजादी के नारे लग रहे हैं।
खालिस्तान टाइगर्स फोर्स, इसका चीफ जगतार सिंह तारा है।
इंटरनेशनल सिख यूथ फडरेशन इसका चीफ लखबीर सिंह रोडे हैं।
खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, इसका चीफ रणजीत सिंह नीता है।
कुछ दूसरे संगठन भी हैं संचालित
भिंडरावाला कमांडो फोर्स ऑफ खालिस्तान
खालिस्तान लिबरेशन फोर्स
खालिस्तान कमांडो फोर्स
खालिस्तान लिबरेशन आर्मी
शहीद खालसा फोर्स
भारत में प्रतिबंधित हैं ये संगठन
मीडिया सूत्रों के मुताबिक विधिविरुद्ध कार्यकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी संगठन के रुप में घोषित किए गए संगठनों की सूची (27.01.2014 के अनुसार), इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स को आतंकी संगठन घोषित किया गया है।