RAKSHA BANDHAN-2021: जनजातीय महिलाओं की राखी से संवरेगी धरती, जानिए क्या है ये अनोखा अभियान
इको फ्रैडली राखी उत्सव। रक्षाबंधन तो हम हर साल मनाते हैं और राखी भी हर साल बांधते हैं। तो क्या कभी सुना है कि राखी बांधेंगे तो पौधे उगेंगे, लेकिन प्रदूषित होते पर्यावरण और कम होते पेड़-पौधों को देखते हुए देश के जाने-माने अध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने इस बार एक नया प्रयोग किया है। दरअसल उन्होंने इस बार इकोफ्रैंडली (eco-friendly) राखी का संदेश दिया है।
अध्यात्मिक गुरु ने देश भर में एक अभियान चला कर पेड़-पौधों के बीज से रक्षासूत्र का निर्माण कराया है। उनके लाखों भक्त इस कार्य में आगे आए हैं और इस बार वो बीज वाली राखी ही बांधेंगे। दरअसल होता ये है कि लोग रक्षाबंधन को राखी बांधने के बाद उसे 8-10 दिन बाद ही खोलकर फेंक देते हैं, या फिर खुद ब खुद राखी का धागा कहीं न कहीं टूटकर गिर जाता है।
बीज वाली राखियां
ऐसे में अगर राखी बीज से बनी होगी और वह अगर कूड़े में जाती है और कूड़ें को जमीन में दबाया जाता है तो यही राखी पेड़ का रूप धारण कर पर्यावरण को सुरक्षित करेगी। हालांकि श्रीश्री रविशंकर का संदेश है कि राखी खराब होने के बाद इसका भू विसर्जन करें। ताकि यही राखी पौधे और वृक्ष का रूप ले सकें। बता दें कि श्रीश्री भारत के योग व आध्यात्मिक गुरु हैं। वह आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक हैं और न केवल देश बल्कि विदेश में भी उनके लाखों भक्त व अनुयायी हैं।
जनजातीय महिलाओं ने बनाई है राखियां
हाल ही में ही श्रीश्री ने ईको फ्रैंडली राखी बनवाने के लिए अभियान चलाया था। इस वृक्ष बंधन के तहत आदिवासी महिलाओं से पौधों के बीजों से करीब 50,000 राखियां बनवाई गई हैं। रक्षा बंधन त्योहार के बाद इन राखियों को जमीन में या फिर घर के गमलों में लगाया जाएगा।