Vijaya Ekadashi: विजया एकादशी पर भगवान विष्णु को इन चीजों का लगाएं भोग, माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न, दूर होगा आर्थिक संकट
Vijaya Ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशियों का महत्वपूर्ण स्थान है. साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसी तरह से फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं. यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस व्रत का पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी वर्णन मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक इस व्रत को रखते हैं उन्हें अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से दुख और दरिद्रता भी दूर हो जाती है और किसी काम में विफलता नहीं मिलती.
माना जाता है कि लंका पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन ही आक्रमण करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे थे. इसीलिए मान्यता है कि जो लोग इस व्रत को रखते हैं, उन्हें उनके काम में विजय जरूर मिलती है. तो वहीं जो लोग आर्थिक रूप से परेशान हैं और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं वह लोग पहले भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्त करें. इसके लिए इस दिन भगवान को कुछ विशेष भोग अर्पित करें, जैसे-
पंचामृत का भोग
भगवान विष्णु को पंचामृत अति प्रिय है. इसलिए विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाएं। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में चल रही मुश्किलों का अंत होता है।
केले का भोग
विष्णु जी को केले का भोग अति प्रिय है तो विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केले का भोग जरूर लगाएं। ऐसा माना जाता है, जो लोग धन की मुश्किलों से जूझ रहे हैं उन्हें श्री हरि को यह फल अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे कुंडली से गुरु दोष का प्रभाव भी समाप्त होता है।
केसर की खीर का भोग
भगवान विष्णु को विजया एकादशी के दिन केसर की खीर का भोग लगाना शुभ माना गया है, लेकिन ध्यान रखें कि खीर बिना चावल की हो, क्योंकि एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है। ऐसे में चावल की जगह मखाने या मेवे की खीर बनाएं.
धनिया की पंजीरी का भोग
धनिया की पंजीरी का भोग श्री हरि को बहुत पसंद है। इसलिए विजया एकादशी के दिन विष्णु जी की पूर्ण कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें धनिया की पंजीरी का भोग अवश्य चढ़ाना चाहिए। माना जाता है कि, इसके बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी होती है।
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)