RAKSHABANDHAN: रक्षाबंधन का गेहूं कनेक्शन, देखें क्या कहती हैं प्राचीन कथाएं
RAKSHABANDHAN: हिंदू समाज में रक्षाबंधन का पर्व भी उसी हर्षोल्ला से साथ मनाया जाता है, जैसे दीपावली और होली को, लेकिन यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक है। इसी वजह से इसे दुनिया भर में एक अलग श्रद्धा और स्नेह से देखा जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षा+बंधन, अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इसीलिए राखी बांधते समय बहनें भाईयों से अपनी रक्षा करने का वचन लेती हैं। यह पर्व घर-घर में मनाया जाता है। इसे केवल हिंदू ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी मनाते हैं।
गेहूं के पौधे को बोया जाता है इस दिन
आचार्य सुशील कृ़ष्ण शास्त्री बताते हैं कि यह पर्व भाई-बहन के हार्दिक प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। धर्मग्रंथों में वर्णन है कि इस दिन सुबह से ही बहनें भाई को राखी बांधने के लिए तैयारी शुरू कर देती हैं। बहनें नागपंचमी के दिन गेहूं बो देती हैं, जो कि रक्षाबंधन तक थोड़े बड़े-बड़े हो जाते हैं। राखी बांधने के बाद बहनें भाइयों के कानों में गेहूं के इन पौधों को लगा देती हैं। ऐसी मान्यता है कि गेहूं को वैभव, सम्पदा और तरक्की का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन बहनें भाइयों को गेहूं का भेंट करती हैं, ताकि भाइयों के घर में किसी तरह की कमी न हो।
प्रचलित कथाएं-महाभारत से
प्रचलित कथा के अनुसार द्रोपदी भगवान श्री कृष्ण को अपना भाई मानती थीं। महाभारत में वर्णन किया गया है कि एक बार कृष्ण भगवान के हाथ में चोट लग जाने से खून निकलने लगा। इसे देखते ही द्रोपदी ने तुरंत अपनी धोती का किनारा फाड़कर कृष्ण जी के हाथ पर बांध दिया था। इसी ऋण को चुकाने के लिए कृष्ण भगवान ने उस समय द्रोपदी की लाज बचाई जब दुशासन ने उनका चीर हरण करना शुरू कर दिया था। इस तरह से भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भाई होने का फर्ज निभाया।
मध्यकालीन इतिहास में
रक्षाबंधन को लेकर मध्यकालीन इतिहास में भी एक उदाहरण मिलता है। प्रचलित कथा के अनुसार एक ऐसी घटना का जिक्र होता है कि चित्तौड़ की हिंदू रानी कर्मावती ने दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूं को अपना भाई मानकर उसके पास राखी भेजी थी, जिसे हुमायूं ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद इस रक्षासूत्र के सम्मान के लिए हुमायूं ने गुजरात के बादशाह बहादुरशाह से युद्ध किया था।