Govatsa Dwadashi: गोवत्स द्वादशी पर गाय और बछड़े की करें इस तरह पूजा, देखें पूजा का शुभ मुहूर्त
Govatsa Dwadashi: कार्तिक मास की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं। आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि, इस दिन दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर वस्त्र ओढाना चाहिये, गले में पुष्पमाला पहनाना , सींग मढ़ना, चन्दन का तिलक करना तथा ताम्बे के पात्र में सुगन्ध, अक्षत, पुष्प, तिल, और जल का मिश्रण बनाकर निम्न मंत्र से गौ के चरणों का प्रक्षालन करना चाहिये।
आचार्य कमलकांत कुलकर्णी बताते हैं कि, इस बार गोवत्स द्वादशी 10 नवम्बर को मनाई जाएगी. जहां शुक्रवार को सुबह से लेकर दोपहर 1 बजकर 5 मिनट कर गाय और बछड़े का पूजन किया जाएगा तो वहीं शाम को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. तो वहीं आचार्य कमलकांत कुलकर्णी कहते हैं कि, अगर किसी कारण वश शुक्रवार को रात्रि में धनतेरस का पूजन नहीं कर सके हैं तो वह लोग 11 नवम्बक को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट तक पूजन कर सकते हैं और फिर शाम को नरक चतुर्दशी मना सकते हैं और दीपदान करें.
ये बोलें मंत्र
आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि गोवत्स द्वादशी पर गाय की पूजा करते हुए ये मंत्र बोलें-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः॥
इसका अर्थ है- समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से उत्पन्न देवताओं तथा दानवों द्वारा नमस्कृत, सर्वदेवस्वरूपिणी माता तुम्हे बार बार नमस्कार है।
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)