Railway Station Name Change: जानें कैसे बदला जाता है किसी रेलवे स्टेशन का नाम और क्या होते हैं कारण, देखें क्या होती है प्रक्रिया, कैसे तय होती है भाषा

December 29, 2023 by No Comments

Share News

Ayodhya Railway Station Name Change: उत्तर प्रदेश में लगातार जिले और रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने का क्रम जारी है. हाल ही में अयोध्या रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अयोध्या धाम जंक्शन कर दिया गया है. बुधवार को ही रेल मंत्रालय ने इस सम्बंध में एक आदेश जारी किया है. इसी के साथ ही भगवान राम की नगरी में बना ‘अयोध्या रेलवे स्टेशन’ अब ‘अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन’ के नाम से जाना जाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पूर्व ही निरीक्षण के दौरान अयोध्या धाम स्टेशन नाम रखने की इच्छा जताई थी। इसके बाद ही ये निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी 2024 को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन का उद्घाटन भी करेंगे। हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी रेलवे स्टेशन का नाम बदला गया है। इससे पहले अप्रैल 2022 में झांसी के रेलवे स्टेशन के नाम बदलकर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई, झांसी’ किया गया था। वहीं, नवंबर 2021 में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर ‘रानी कमलापति’ किया गया था।

जाने कैसे बदला जाता है किसी रेलवे स्टेशन का नाम?
आम लोगों में एक गलतफहमी है कि किसी भी रेलवे स्टेशन के नाम बदलने का फैसला भारतीय रेलवे लेता है। यह फैसला संबंधित राज्य की सरकार करती है और रेलवे महज एक पार्टी होता है। स्टेशनों के नाम बदलना पूरी तरह से राज्य का विषय है जिससे नाम बदलने का फैसला संबंधित राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ दिया गया है।

जानें किन कारणों से बदलता है किसी स्टेशन का नाम?
जानकारों की मानें तो, ऐतिहासिक महत्व के धरोहर की परंपरा को जीवित रखने या लंबे समय से चली आ रही लोगों की मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार किसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलती है। अगर इस विषय के जानकारों की मानें तो ऐसा सियासी कारणों से भी किया जाता है और यह होता रहा है। उदाहरण के तौर पर 1996 में, जब इतिहास और स्थानीय भावनाओं को ध्यान रखते हुए मद्रास शहर का नाम आधिकारिक तौर पर ‘चेन्नई’ रखा गया तो रेलवे स्टेशन का नाम भी मद्रास से बदलकर चेन्नई कर दिया गया। अगर हाल ही के उदाहरण को देखें तो, नवंबर 2021 में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर ‘रानी कमलापति’ किया गया था। मध्य प्रदेश सरकार ने यह फैसला ऐतिहासिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से लिया था। हबीबगंज रेलवे स्टेशन के उद्घाटन से पहले मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम आदिवासी रानी कमलापति के नाम पर रखने का अनुरोध किया था। पत्र में सरकार ने तर्क दिया था कि रेलवे स्टेशन का नाम बदलने से रानी कमलापति की विरासत और वीरता का सम्मान होगा।

जानें स्टेशन के नाम बदलने की क्या होती है पूरी प्रक्रिया?

मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार जिस भी स्टेशन का नाम बदलना चाहती है, उसकी मंजूरी लेने के लिए इन मामलों के नोडल मंत्रालय, गृह मंत्रालय को अपना प्रस्ताव भेजती हैं। गृह मंत्रालय प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी देने से पहले रेल मंत्रालय को भी लूप में रखता है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रस्तावित नए नाम वाला कोई अन्य स्टेशन देश में कहीं भी मौजूद न हो। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, डाक विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग से अनापत्ति (एनओसी) लेता है। इसके बाद किसी स्थान या स्टेशन का नाम बदलने पर अपनी सहमति देता है।

जानें किन-किन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होता है?
मीडिया सूत्रों की मानें तो एक बार जब राज्य सरकार सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन कर लेती है और भारतीय रेलवे को नाम बदले जाने की सूचना देती है तब भारतीय रेलवे का काम शुरू हो जाता है। रेलवे संचालन के उद्देश्य से स्टेशन ‘कोड’ की तलाश की जाती है। इसी कोड को टिकट प्रणाली में फीड किया जाता है ताकि कोड के साथ स्टेशन का नया नाम इसके टिकटों और ट्रेन की दूसरी जानकारियों में दिखाई दे। उदाहरण के लिए अयोध्या में फैजाबाद जंक्शन का कोड ‘FD’ हुआ करता था लेकिन नाम बदलने के बाद नया कोड ‘AYC’ हो गया। अंत में संबंधित स्टेशन पर लिखे गए नाम, प्लेटफॉर्म साइनेज आदि को बदला जाता है। इसके साथ ही सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए इसकी संचार सामग्री में भी नाम बदल जाता है।

किस भाषा में होगा नाम, जानें कैसे तय होता है?
यह प्रक्रिया भारतीय रेलवे वर्क्स मैनुअल के अनुसार की जाती है। बता दें कि परंपरागत रूप से स्टेशनों के नाम केवल हिंदी और अंग्रेजी में लिखे जाते थे, लेकिन समय के साथ यह निर्देश दिया गया कि स्थानीय भाषा के रूप में एक तीसरी भाषा को शामिल किया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि, मैनुअल के पैराग्राफ 424 में उल्लेख किया गया है कि रेलवे को अपने साइनबोर्ड पर नाम लगाने से पहले नामों की वर्तनी (तीनों भाषाओं में) पर संबंधित राज्य सरकार की मंजूरी लेनी चाहिए। स्टेशनों के नाम लिखने के लिए एक क्रम भी निर्धारित किया गया है जिसके तहत पहले क्षेत्रीय भाषा फिर हिंदी और अंत में अंग्रेजी भाषा में नाम लिखा होना चाहिए। हालांकि, मैनुअल में कहा गया है कि तमिलनाडु में हिंदी का उपयोग वाणिज्यिक विभाग द्वारा निर्धारित महत्वपूर्ण स्टेशनों और तीर्थ केंद्रों तक ही सीमित होगा।