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. वो नानावटी में किसी से मिलने आए थे. जब उनको मालूम हुआ कि परेश है यहां पर है तो मिलने आ गए और मुझसे पूछा कि क्या हुआ तुझे.

जिहाद का थॉट प्रोसेस बिल्कुल वैसा ही है जैसे अपने अंदर के बुरे विचारों पर विजय पाना, उसके लिए लड़ना, उसे जिहाद कहते हैं. बाहर सड़कों पर लोगों को मारना जिहाद नहीं कहलाता.