यहां पढ़ें चांदीपुरा वायरस की पूरी कुंडली…टूटा है बच्‍चों पर मौत बनकर, जानें कितना खतरनाक है? लक्षण और इलाज

July 16, 2024 by No Comments

Share News

Chandipura Virus: अभी कोरोना वायरस की दहशत से हम पूरी तरह से बाहर निकल भी नहीं पाए थे कि भारत का स्‍वदेशी वायरस, चांदीपुरा (Chandipura virus ) लगातार बच्‍चों पर कहर बनकर टूट रहा है. हालांकि इस वायरस का नाम जरूर बहुत से लोगों ने अभी सुना है लेकिन हेल्‍थ एक्‍सपर्ट की मानें तो यह वायरस भारत में करीब 60 सालों से अपनी पैठ जमाए है और कुछ राज्‍यों में महामारी फैलाता रहा है. गुजरात में चांदीपुरा वायरस से 6 बच्‍चों की मौत के बाद इस बीमारी ने पूरे देश को डरा दिया है.

सबसे बड़ी बात ये है कि यह पूरी तरह से स्‍वदेशी यानी भारत का वायरस है. यानी ये भारत में ही पैदा हुआ है, यहीं इसका नाम रखा गया और यह यहीं पर बच्‍चों को संक्रमित कर उन्‍हें मौत के मुंह में धकेल रहा है.

जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च नई दिल्‍ली के डायरेक्‍टर और जाने-माने वायरोलॉजिस्‍ट प्रोफेसर सुनीत के सिंह का एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें उन्होने इस वायरस को खतरनाक बताया है. उन्होंने कहा कि ये सीधा ब्रेन पर असर करता है और फिर कोमा में जाने से पीड़ित की मौत हो जाती है.

जानें क्‍या है इसका इलाज?
इसका सिर्फ सिम्‍टोमैटिक इलाज है. डाक्टर इसके लक्षण के आधार पर दवा देता है. इसकी न कोई वैक्‍सीन है, न बहुत ज्‍यादा दवाएं हैं. ऐसे में कुछ एंटीवायरल ड्रग हैं जो डॉक्‍टर मरीजों को ठीक करने के लिए देते हैं.

जानें क्यों पड़ा इसका नाम चांदीपुरा
प्रोफेसर सुनीत सिंह ने बताया कि इस वायरस का सबसे पहले आउटब्रेक साल 1964-65 में महाराष्‍ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में हुआ था. चूंकि यह वायरस दुनिया में और कहीं नहीं था. यही कारण रहा कि इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया.

इतनी उम्र तक के लोगों को बनाता है शिकार
यह वायरल 15 साल या उससे छोटे बच्‍चों को ही अपना शिकार बनाता है. यह वायरस रेबीज वायरस वाली फैमिली RHAPDOVIRIDAE से जुड़ा है.

अभी तक हुई इतनी मौतें
प्रोफेसर ने बताया कि इसके पहली बार आउटब्रेक के बाद से इसके छिटपुट मामले सामने आते रहे हैं. तो वहीं इस सीजन में इस बीमारी से 6 बच्‍चों की मौत हो चुकी है.

जानें क्या है इसके लक्षण
इसके लक्षण आमतौर पर कुछ कुछ फ्लू या बहुत हद तक जापानीज इंसेफेलाइटिस जैसे होते हैं. इससे संक्रमित होने पर गर्दन में ऐंठन, तेज बुखार, उल्‍टी आदि होगी और अगर बहुत एडवांस स्‍टेज में मरीज चला जाएगा तो वह कोमा में चला जाता है. कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है.

भारत के अलावा कहां-कहां है ये वायरस?
यह वायरस केवल भारत में ही है. फिलहाल अभी तक पूरी दुनिया के किसी भी देश में चांदीपुरा वायरस के केस नहीं मिले हैं. भारत में भी महाराष्‍ट्र के नागपुर के चांदीपुरा गांव में इसका आउटब्रेक हुआ था. उसके बाद यह आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्‍थान में भी संक्रमण फैला रहा है.

क्या वायरस का किसी जलवायु से है लेना देना?
प्रोफेसर बताते हैं कि चूंकि यह मक्‍खी-मच्‍छरों से फैलता है ऐसे में जिस मौसम में मक्‍खी-मच्‍छरों का प्रकोप अधिक रहता है, उनकी ब्रीडिंग ज्‍यादा होती है, उस मौसम में ये वायरस अपना असर दिखा सकता है.

क्या करता है ब्रेन पर असर?
इस वायरस को इसीलिए अधिक खतरनाक माना गया है क्योंकि यह सीधे ब्रेन पर असर करता है. इस वायरस के इन्‍फेक्‍शन के दौरान ब्रेन के माइक्रोफेजेज का इंप्रेशन बढ़ जाता है, यह वायरस ब्रेन में इन्‍फ्लेमेशन बढ़ा देता है और फिर मरीज कोमा तक में चला जाता है.

क्‍या भारत में सब जगह फैलने की है सम्भावना
प्रोफेसर कहते हैं, हां, बिल्‍कुल. वह कहते हैं कि पहले यह सिर्फ महाराष्‍ट्र के एक गांव में फैला था लेकिन अब देखा जा रहा है कि ये फैल रहा है. इससे संक्रमित वाहक जहां जहां जाते हैं, वहां वहां यह फैल सकता है. ये ठीक उसी तरह है जैसे पहले डेंगू सिर्फ साउथ एशिया में ही रिपोर्ट होता था लेकिन अब यह अमेरिका में इसके केस मिल रहे हैं. ठीक इसी तरह यह वायरस है और फैल सकता है.

क्‍या इस वायरस से मौतें होती हैं अधिक?
प्रोफसर ने बताया कि साल 1964-65 से लेकर अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे सामने आय़ा है कि इस वायरस की मृत्‍यु दर ज्‍यादा है. इस वायरस के इतना खतरनाक होने के पीछे वैज्ञानिक तथ्‍य ये है कि जैसे अन्‍य वायरस, कभी न कभी हमें संक्रमित करते हैं तो उनके खिलाफ हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, लेकिन चूंकि यह सिर्फ एक राज्‍य की एक ही जगह पर फैला हुआ था और आइसोलेटेड था और इसने बहुत सारे लोगों में इन्‍फेक्‍शन नहीं फैलाया, तो इससे लड़ने के लिए मजबूत इम्‍यूनिटी शरीरों में नहीं बन पाई और जब यह बाहरी राज्‍यों में फैलने लगा तो इससे मौतें भी होने लगीं. बहुत सारे बच्‍चों में इसके संक्रमण के बाद कोमा में चले जाने की परेशानी सामने आती है.

कैसे फैलता है ये वायरस ?
प्रोफेसर बताते हैं कि यह वैक्‍टर बॉर्न डिजीज है. यह प्रमुख रूप से करीब 3 मिमी लंबी सुनहरे और भूरे रंग की छोटी व्‍यस्‍क मक्‍खी से फैलता है. इस वायरस से संक्रमित मक्‍खी जब किसी बच्‍चे को काट लेती है और उसके सलाइवा से यह वायरस ब्‍लड में पहुंच जाता है तो बच्‍चा इन्‍फेक्‍टेड हो जाता है. हालांकि कुछ मामलों में यह मच्‍छरों से भी फैला है. इसे फैलाने वाली प्रमुख वाहक सेंड फ्लाई है. जबकि मच्‍छरों की प्रजातियां एडीज और क्‍यूलेक्‍स से भी चांदीपुरा वायरस के केस सामने आए हैं.