NEP लागू करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर आकर्षित हो रहे हैं तमाम जिलों के कॉलेज, चार जिलों के कॉलेजों ने छोड़ा कानपुर विश्वविद्यालय, LU से हुए सम्बद्ध, इसके बाद प्रवेश में हुई 11.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, देखें जिलों के नाम
लखनऊ। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)लागू करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय (LUCKNOW UNIVERSITY) की ओर तमाम जिलों के कॉलेज आकर्षित हो रहे हैं। हाल ही में चार जिलों के कॉलेज में कानपुर विश्वविद्यालय की सम्बद्धता को खत्म कर लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) का हाथ थाम लिया है। इसके बाद उन सभी जिलों के कॉलेजों में प्रवेश को लेकर भारी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है।
LU से मिली जानकारी के मुताबिक LU से सम्बद्ध होने के बाद चार जिलों के कालेजों मे प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में पिछले सत्र में बड़ी वृद्धि हुई है। लखनऊ विश्वविद्यालय में सत्र 2021-22 से चार नये ज़िले हरदोई, लखीमपुर-खीरी, रायबरेली, और सीतापुर के डिग्री कालेज सम्बद्ध किये गए थे, जिसमें स्नातक स्तर के विभिन्न पाठ्यक्रमों (बीए, बीएससी और बीकॉम) में कुल 94392 प्रवेश हुए हैं।
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सत्र 2020-21 तक यह सभी कॉलेज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से सम्बद्ध थे और सत्र 2020-21 में उपरोक्त चार जिलों में कुल 84875 प्रवेश हुए थे। अर्थात् सीधे आंकलन से यह स्पष्ट है कि लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्धता होने के पश्चात इन चार जिलों के कालेजों में स्नातक स्तर पर प्रवेश मे कुल 11.2 % की वृद्धि दर्ज हुई। यह वृद्धि लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का सीधा नतीजा है। छात्रों की संख्या में हुई यह वृद्धि निश्चित तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय की अपनी शाख़ एवं नयी शिक्षा नीति के कारण हुई है।
दिया जा रहा है कौशल विकास पर जोर
लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा सत्र 2021-22 से ही स्नातक स्तर पर देश मे सबसे पहले नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप चार वर्षीय पाठ्यक्रम 2021-22 से लागू किये जाने का सीधा फायदा इन छात्रों को मिलेगा। नवीन पाठ्यक्रम छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है, जिसमे पढ़ाई के साथ ही साथ कौशल विकास पर भी ज़ोर दिया गया है। इसके तहत छात्र इन्टर्नशिप, रिसर्च प्रोजेक्ट तथा ऑनलाइन पाठ्यक्रम का भी लाभ उठा सकेंगे।
पाठ्यक्रम में फ़्लेक्सिबल एंट्री / एग्ज़िट का मौक़ा भी दिया गया है, जिससे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा ना कर पाने वाले छात्रों को भी सर्टिफ़िकेट / डिप्लोमा आदि मिल सकेगा। जो छात्र चार वर्षीय पाठ्यक्रम का तीन वर्ष पूरा करके निकलना चाहेंगे उन्हे यूजी डिग्री मिलेगी तथा चार वर्ष का कोर्स पूरा करने पर यूजी विद रिसर्च (स्नातक शोध के साथ) की डिग्री दी जाएगी। यूजी डिग्री वालों को दो साल का परास्नातक पाठ्यक्रम तथा यूजी विद रिसर्च पूरा करने वाले छात्र केवल एक साल में ही परास्नातक पाठ्यक्रम पूर्ण कर सकते हैं। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने इस दिशा मे समिति का गठन कर सभी तैयारियां जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश दे दिए हैं।
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