जानें बंटवारे के वक्त टॉस जीतकर भारत ने कौन सी कीमती चीज की थी अपने नाम…? पाकिस्तान को हाथी-घोड़े के साथ मिले थे इतने करोड़
15 August 1947: 78 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर पूरे देश में सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सेना की नजर है. तो वहीं इस खास मौके पर आजादी से जुड़े तमाम किस्से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. तो वहीं बंटवारे के वक्त क्या हुआ था इस बारे में हर कोई जानना चाहता है. तो चलिए इससे जुड़ा एक किस्सा यहां पर हम सुनाते हैं आपको…
अंग्रेजों ने भारत पर 200 सालों से भी अधिक समय तक शासन किया था और जो लोग उनकी बातें नहीं मानता, उन पर अंग्रेजों ने खूब अत्याचार किया था. 15 अगस्त 1947 को देश जब आजाद हुआ तब लोगों ने राहत की सांस ली थी. गुलामी की जंजीर से मुक्त होने की खुशी लोगों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी. अपनी माजृभूमि को आजाद कराने के लिए सैकड़ों क्रांतिकारी फांसी के तख्ते पर झूल गए थे तो वहीं लाखों लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी. अपनी मातृ भूमि के लिए मर मिटने के जज्बे ने अंग्रेजों के पांव उखाड़ दिए थे और उन्हें भारत देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था लेकिन भारत से जाते-जाते अंग्रेज बंटवारे का जख्म भी दे गए थे.
बंटवारे के वक्त खूब हुई थी मारकाट
भारतवर्ष को भारत और पाकिस्तान के रूप में बंटना पड़ा. पाकिस्तान को धर्म के नाम पर बनाया गया था. भारत को दो हिस्सों में बांटने की जिम्मेदारी ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ को मिली थी. उन्होंने भारत के नक्शे पर रेखा खींचकर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत को एक पृथक राष्ट्र घोषित कर दिया था. इस दौरान दोनों देशों का भौगोलिक विभाजन तो हो गया था, लेकिन सेना और धन के बंटवारे को लेकर बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई थी.
विभाजन पर ये हुआ था समझौता
विभाजन परिषद ने दोनों देशों को 31 मार्च 1948 तक मौजूदा सिक्कों और मुद्रा को जारी रखने और पाकिस्तान में 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 1948 के बीच नए सिक्के और नोट जारी करने का फैसला सुनाया था. हालांकि, उसके बाद भी पुरानी मुद्रा चलन में रखने की बात कही गई थी. इसी कारण बंटवारे के 5 साल बाद भी पाकिस्तानी सिक्के कोलकाता में चल रहे थे और पाकिस्तान सरकार लिखे आरबीआई के नोट पाकिस्तान में चल रहे थे. विभाजन समझौते के मुताबिक, पाकिस्तान को ब्रिटिश भारत की संपत्ति और देनदारियों को 17 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा मिला था. तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय भारत के पास करीब 400 करोड़ रुपये थे. इसमें से पाकिस्तान के हिस्से में 75 करोड़ रुपये आए थे. इसी के साथ ही पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपये की कार्यशील राशि भी देनी पड़ी थी.
उछाला गया था सिक्का
तत्कालीन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देशों के विभाजन के दौरान जमीन, धन और सेना के अलावा जानवरों का भी बंटवारा तक किया गया था. सभी चल संपत्तियों को 80-20 के अनुपात में विभाजित किया गया था. इसके अलावा विभाजन के बाद 1950 के दशक में पुरातात्विक अवशेषों को भी दोनों देशों के बीच बांटने की मांग की गई थी. ‘जॉयमोनी’ हाथी को लेकर भी विवाद हुआ था. इसके बाद पश्चिम बंगाल को कार मिली और पूर्वी बंगाल (तब का पाकिस्तान) के हिस्से में ‘जॉयमोनी’ हाथी आई थी. इसी तरह सोने की परत से चढ़ी घोड़े से खींची जाने वाली बग्गी की जब बात आई तो दोनों ही देश इस पर अपना दावा ठोकने लगे. इस पर जब कोई उपाय नहीं सूझा तो टॉस करके इस पर निर्णय किया गया था. फिलहाल तब भारत ने टॉस जीता था और ये कीमती बग्गी भारत के हिस्से में आ गई थी. (फोटो-सोशल मीडिया)