मुस्लिम व्यक्ति को ब्रेन-डेड बेटे का दान किया लिवर…इस हिंदू परिवार ने पेश की इंसानियत की मिसाल
Hindu-Muslim: एक हिंदू परिवार ने मानवता की मिसाल देते हुए लिवर सिरोसिस से पीड़ित एक दिव्यांग मुस्लिम व्यक्ति की जान बचाई और अपने जिगर के टुकड़े यानी अपने ब्रेन-डेड बेटे का लिवर (liver) दान कर दिया. इस परिवार की तारीफ सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पर हो रही है.
सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को मोहम्मद अबरार में हेपेटाइटिस बी की बीमारी का पता लगा. इसके अलावा उनमें पीलिया, जलोदर (द्रव के संचय के कारण पेट में सूजन) और आंतरिक रक्तस्राव सहित लिवर सिरोसिस के लक्षण भी दिखाई दिए लेकिन अबरार ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हुए एक सक्रिय जीवन जी रहे थे. वह अपनी दुकान पर काम करने के साथ सभी सामाजिक गतिविधियों में भाग भी ले रहे थे लेकिन धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ती गई और इसका उनके व्यक्तिगत और व्यवसाय में भी खराब असर डाला.
इसके बाद जब वह डाक्टर को दिखाने के लिए गए तो मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के चेयरमैन अनिल अरोड़ा ने तत्काल लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी. लंबे समय से सिरोसिस, फेफड़े और हृदय संबंधी समस्याओं के कारण अबरार की स्थिति और भी जटिल हो गई, जिससे यह विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली सर्जरी बन गई।
पोलियो से अबरार के दाहिने अंग में खराबी के कारण सर्जरी भी कठिन हो गई थी, जिसके कारण ऑपरेशन के लिए जगह सीमित थी लेकिन अबरार को उसी अस्पताल में एक ब्रेन-डेड युवक से नया जीवन मिल गया. हिंदू परिवार ने अबरार को बचाने के लिए अपने ब्रेन डेड बेटे का लिवर दान कर दिया. अबरार को पूरी तरह ठीक होने के बाद अस्पताल में 15 दिन रहने के बाद छुट्टी दे दी गई। डॉक्टर ने मीडिया को जानकारी दी कि अबरार फिर से काम पर लौट गया है।
13 अगस्त को मनाया जाता है अंगदान दिवस
बता दें कि अंगदान के महत्व के बारे में लोगों को सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके बारे में आम गलतफहमियों को दूर करने के लिए हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। भारत में मृत शरीर से अंग दान की दर बहुत कम है और देश में प्रति दस लाख लोगों पर एक से भी कम है। इसके उलट पश्चिमी देशों में 70-80 प्रतिशत अंग दान होता है। सिरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर पर निशान पड़ जाते हैं और यह हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो जाता है।