नवरात्र का कन्या भोज कनेक्शन: नौ देवियों को प्रसन्न करने के लिए प्रतिपदा से नवमी तक कन्याओं को दें ये तोहफा
नवरात्र स्पेशल। हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार नवरात्र पर कन्याओं को भोज कराने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जब तक कन्याओं को भोज न कराओ तब तक नवरात्र का फल प्राप्त नहीं होता और मां शक्ति भी प्रसन्न नहीं होतीं। चूंकि एक से 9 साल तक की कन्याओं को ही हिंदू धर्म में देवी का रूप माना गया है। इसलिए नौ दिन तक इसी आयु की कन्याओं को भोज कराना चाहिए।
आचार्य सुशील शास्त्री बताते हैं कि नवरात्र पर माता शक्ति के नौ रूपों की पूजा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इसी के साथ नवरात्र के प्रत्येक दिन माता के रूप की पूजा के साथ ही कन्याओं के भोजन कराने का भी विधान बताया गया है, लेकिन नवरात्र के प्रतिदिन भक्त कन्या पूजन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में नवरात्र की अष्टमी अथवा नवमी को भी विधि-विधान से मां के सभी रूपों का ध्यान कर कन्या पूजन व भोजन कराने से पूरी नवरात्र का फल प्राप्त हो जाता है। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि मां भगवती के किस रूप को प्रसन्न करने के लिए कन्याओं को क्या चीज उपहार में देनी चाहिए। इस बात का खास ख्याल रखें कि अष्टमी, नवमी को पांच, सात, नौ, 11 आदि संख्या में कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। इसी के साथ ही एक बालक (लंगूरा) को भी भोजन कराएं। सभी कन्याओं को अपनी इच्छानुसार दक्षिणा जरूर दें।
प्रथम शैलपुत्री
कन्या को हलवा-पूड़ी आदि का भोज कराने के बाद कंघा, हेयर ब्रश, हेयर क्रीम या बैंड उपहार मे देना चाहिए।
द्वितीय माता ब्रह्मचारिणी
इस दिन कन्याओं को भोज कराने के बाद खुशबूदार तेल की शीशी भेंट करें और दक्षिणा दें।
तृतीय माता चंद्रघंटा
पूजन व भोजन कराने के बाद कन्याओं को आईना, रोली और खिलौना आदि भेंट करें।
चतुर्थ माता कूष्मांडा
कन्याओं को भोजन खिलाने के साथ ही मिठाई भी खिलाएं। साथ ही कोल्ड क्रीम भेंट करें।
पंचम संकन्दमाता
कन्या को भोजन कराने के बाद सोने या चांदी की चीज भेंट करें।
षष्ठम माता कात्यायनी
भोजन कराने के बाद कन्याओं को फूल और फल के साथ ही दक्षिणा दें।
सप्तम माता कालरात्रि
भोजन कराने के बाद कन्याओं को रुमाल और खुशबूदार कोई वस्तु भेंट करें।
अष्टम माता महागौरी
कन्याओं को परम्परागत भोजन कराने के साथ ही मिठाई, हलवा व दक्षिणा दें।
नवम माता सिद्धिदात्री
इस दिन नौ कन्याओं या इससे अधिक कन्याओं का पूजन कर भोजन कराएं और कन्याओं को वस्त्र, रूपये, भोज्य पदार्थ आदि उपहार में दें।
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