मदरसा शफा मदीनतुल उमूल के बत्तर हैं हालात, बच्चे नहीं बनना चाहते हैं डाक्टर-इंजीनियर, चौंकाने वाले तथ्य आए सामने, मिली एक्सपायरी दवा, एक पंफलेट में लिखा मिला दरिंदों की खाल से…

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लखनऊ। मदरसों में बच्चों को डाक्टर, इंजीनियर नहीं, बल्कि सिर्फ मौलवी बनना सिखाया जा रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं। हाल ही में बाल संरक्षण आयोग की टीम ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज के शिवलर में स्थित मदरसा शफा मदीनतुल उमूल का दौरा किया तो, कई चौंकाने वाली बात सामने आई है। आयोग की सदस्य ने बताया कि बच्चों को यहां समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम नहीं किया जाता है। धार्मिक शिक्षा के नाम पर उनकी स्कूली शिक्षा बंद हो गई है। पहले तो इस मदरसे से कुछ बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में जाते थे, जो कि अब नहीं जाते। कुछ बच्चों से पूछा गया कि वह स्कूल जाना चाहते हैं, तो इस पर बच्चों ने नहीं में उत्तर दिया। इसी के साथ जब पूछा गया कि वह बड़े होकर डाक्टर, इंजीनियर अथवा अधिकारी बनना चाहेंगे क्या? तो उन्होंने इससे साफ इंकार करते हुए कहा कि वह सिर्फ मौलवी बनना चाहते हैं।

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यही बच्चा मदरसे से बाहर भाग निकला था

बेड़ियां डालकर रखे जाते हैं बच्चे
हाल ही में बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी मदरसा शफा मदीनतुल उमूल की जांच करने के लिए पहुंची थीं। यहां देखकर वह दंग रह गईं कि आठ से 10 साल के बच्चों को बेडियां पहनाकर और उनमें ताला जड़कर कट्टरता और क्रूरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। दोपहर होते ही बच्चों के पैरों में बेड़ियां लगाकर ताला लॉक कर दिया जाता है, जिसे रात होने पर ही खोला जाता है। इसी के साथ एक्सपायर हो चुकी दवाइयां भी यहां से मिली हैं। जिन्हें उन्होंने नष्ट करा दिया। निरीक्षण में उन्हें खामियां ही खामियां मिलीं। इसी के साथ यहां पर एक पंफलेट मिला, जिस पर लिखा था कि दरिंदों की खाल से मोजे बनाएं जाएंगे। इसी के साथ अन्य तमाम आपत्तिजनक बातें भी लिखीं हैं। डा. सुचिता ने बताया कि मदरसा अवैध रूप से संचालित है। मदरसे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।

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बच्चों को नहीं मिलता है अच्छा खाना
आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि बच्चों के सोने के लिए तखत या गद्दे नहीं थे। बच्चे जमीन पर एक पतली सी चादर पर सोते हैं। इसी के साथ खाने के लिए बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं दिया जाता है। खाने में बच्चों को आलू के अलावा चना और मटर की दाल दी रही है। इसके अलावा दो बोरी गेंहू मिला। बच्चों के एनेमिक होने की आशंका है। इसलिए जांच कराने के लिए लिखा गया है।

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20 बच्चों में से मिले 17
मदरसे में लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर और रायबरेली के कुल 20 बच्चे रजिस्टर्ड हैं, जिसमें से मौके पर 17 बच्चे मिले। बताया गया कि एक को इलाज के लिए कहीं बाहर भेजा गया है। बच्चों के बाहर जाने पर आउटपास से संबंधित कोई रजिस्टर नहीं है। न ही यहां पर आगंतुक रजिस्टर मिला है। बता दें कि बाल संरक्षण आयोग यहां पर निरीक्षण करने तब पहुंचा, जब यहां से भाग कर एक बच्चा बाहर निकला था। उस बच्चे को बेड़ियों से जकड़ा हुआ पाया गया था। उसका वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने जब उसके माता-पिता को बुलाकर पूछताछ की थी, तब माता-पिता ने कहा था कि वह पढ़ने के भागता है, इसलिए उनके कहने पर ही उसे उसे बेड़ियों से बांधकर रखा गया था।