NATIONAL HERALD: नेशनल हेराल्ड की लखनऊ स्थित नेहरू मंजिल में बिक रही शराब, टकराए जा रहे हैं जाम, जबकि लगनी थीं यहां अखबार की मशीन, देखें चैरिटी में मिली जगह की अब कैसी हो गई है दुर्दशा
लखनऊ। सोशल मीडिया पर एक खबर जमकर वायरल हो रही है। इस खबर के मुताबिक नेशनल हेराल्ड के लिए लखनऊ में चैरिटी में दी गई जगह पर अब ठंडी बियर की दुकान खुल गई है और साथ में जाम टकराए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग चौराहे के पास स्थित इस इमारत का नाम नेहरू मंजिल बताया जा रहा है। दो मंजिला इस इमारत में करीब 207 दुकानें हैं, लेकिन अधिकांश में ताला पड़ा हुआ है। अर्थात किसी न किसी व्यक्ति का कब्जा है और कुछ ने तो दुकानों को स्टोर बना दिया है, जबकि यहां पर अखबार की मशीन लगाई जानी थी।
इस सम्ंबध में करीब 8 साल पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल बोरा (अब दिवंगत ) ने नेहरू मंजिल की दुकानों को देखा था और यहां पर नेशनल हेराल्ड का फिर से प्रकाशन करने की योजना भी बनाई थी। नीचे की ओर बने हॉल में ही मशीन लगाई जानी थी, लेकिन वर्तमान दुर्दशा को देखकर लगता है कि कांग्रेस के किसी भी जिम्मेदार को बोरा के निधन के बाद से इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं मिली। दैनिक जागरण की वेबसाइट पर वायरल हो रही खबर के मुताबिक दुकानों पर लगे बोर्ड इस बात की गवाही दे रहे हैं कि वहां किसी न किसी का व्यवसाय चल रहा है और कब्जा है। जबकि इस इमारत पर मात्र दो दुकानों का ही किराया मिल रहा है। बाकी कि दुकानों का किराया कहां जा रहा है कहां नहीं। इसकी किसी को भी जानकारी नहीं है।
दावा किया जा रहा है कि इस इमारत की अधिकांश दुकानों से हो रही आमदनी में भी कुछ न कुछ घालमेल किया जा रहा है। इमारत की देख रेख करने वाले संजीव कुमार ने इस सम्बंध में केवल इतना बताया कि दिल्ली कार्यालय से बात करें। बहुत कुरेदने पर वह केवल इतना बताते हैं कि दो दुकानों का किराया जमा हो रहा है। शेष के बारे में कोई जानकारी नहीं। दूसरी ओर नगर निगम के अभिलेख में भी इन दुकानों का कोई जिक्र नहीं है। बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की ओर से मिली नोटिस के बाद से चर्चा में आए नेशनल हेराल्ड की लखनऊ में सम्पत्ति की पड़ताल में तमाम चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। खबर के मुताबिक इसी इमारत के पीछे की तरफ एक टेंट हाउस के साथ ही एक गैराज भी चल रहा है। साथ ही अन्य दुकानों पर अवैध कब्जा है या फिर उसे खरीदा गया है। इस बात की जानकारी देने वाला कोई नहीं है।
इस सम्बंध में आस-पास के लोग दबी जुबान में बताते हैं कि यहां के एक कर्मचारी ने अवैध कब्जेदारों के विरोध में आवाज उठानी चाही तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लोगों ने बताया कि अवैध कब्जेदारों की रकम दिल्ली जाती है। इस बात को यहां के करीब-करीब प्रत्येक लोग जानते हैं और दावा करते हैं।
गंदगी के ढेर से घिरी है इमारत
नेहरू मंजिल कैसरबाग चौराहे की ओर जाने वाली मुख्य सड़क के एक ओर स्थित है। किसी तरह का रखरखाव न होने के कारण इसकी ईंटें तक काली पड़ गई हैं। अंदर कहीं भी रोशनी का बंदोबस्त नहीं किया गया है। तो वहीं गंदगी इतनी ज्यादा है कि लगता है कि सालों से यहां झाड़ू नहीं लगाई गई है। बेसमेंट से लेकर पहली मंजिल तक किसी न किसी का कब्जा बरकरार है।