Chhath Puja Songs: “माई तोहरी चरनन में चारो धाम लिखिला…” छठ महापर्व में इन पारम्परिक गीतों को भी करें शामिल, उत्सव में लगाएं चार-चांद
Chhath Puja Songs: चार दिवसीय छठ महापर्व में अगर कुछ चार चांद लगाता है तो वह है छठ मइया के पारम्परिक गाने. छठ घाटों पर साज-सज्जा के साथ ही पारम्परिक गीत इस त्योहार को और भी शानदार बनाते हैं और छठ मइया की भक्ति में सभी को रमा देते हैं. तो इस मौके पर जाने-माने गीतकार दिनेश नीरज ने छठ महापर्व पर गीतों की रचना की है, जिन्हें आप भी अपने गीतों में शामिल कर सकते हैं।

हमरा अंगना छठी माई भोरे भोरे अईतू हो।
हमरो अचरवा तरसे फूल इक खिलइतु हो।
सुप नरियलवा माथे धई हम लेजइती हो
सेनुरा बहोरती माई अर्घ लगइती हो
सुनीला की सबके दुःख हरिलेलू ये माई
फुस के झोपड़िया जेकर घर कइलु ये माई
तुहरा दर पे अईली माई गरवा लगइतू हो
लिपि पोती अंगना दलनिया सजइती हो
प्रेम के पाती तोहरा दर पे पठइती हो।
हमका होरिलवा देवे सिरहाने अइतु हो।
नदीयां के तीरे तीरे बेदी हम बनइबे माई।
मनवा के दीपक दिन रात हम जलइबे माई।।
रउरे आशीष हमरा ऊपर फिरइतु हो।

गीत
चली न सखी देखी आयी
छ्ठी जी क मेला-2
सोरहो सिंगार करबे गजरा लगाईके
लहंगा पर जोर होइ पायल छनकाई के
नथिया गढ़ावे बदे पियवा से ले ला-
चली न सखी……
सास ससुर बड़े नरियल चढ़इबे
देवरा ननद बदे ठेकुआ ले अइबे
अपने सुगन बदे ले आइब केला
चली न सखी……
मुक्तक
एक
सुप रँगा के फल धोवाके,डलिया सजावल जाला।
विधि विधान से पूजा खातिर,ठेकुवा बनावल जाला।
चौबीस घण्टा क निर्जला ब्रत ,कठिन तपस्या होला।
सूरज के अरघ देवे बदे , खुद के तपावल जाला।
दो
केतना मायूसी बाटे रउरे के देह में,
नइखे सकून बाटे जंगल रेह में।
छ्ठी माई के चरचा जबसे जिया में बा,
जियरा डूब जाला छ्ठीमाई के सनेह में।।
तीन
सलाम लिखिला पयाम लिखिला
छ्ठीमाई के सनेह में इम्तहान लिखिला
जाने केतनन के गोद गुलजार कइलु
माई तोहरी चरनन में चारो धाम लिखिला