Chhath Puja 2024: जानें छठ पूजा में क्यों किया जाता है सूप का इस्तेमाल? अर्घ्य देते वक्त बोलें ये सूर्य मंत्र

November 5, 2024 by No Comments

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Chhath Puja 2024: बिहार के साथ ही उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में धूमधाम से मनाए जाने वाले छठ पूजा पर्व को लेकर घाटों पर धूम दिखाई दे रही है. बड़ी संख्या में लोग इस पर्व की तैयारी में जुटे हुई हैं. सूर्य उपासना के इस पर्व पर साफ-सफाई से लेकर हर उस चीज का महत्व बताया गया है जो प्रकृति से जुड़ी हुई है. माना जाता है कि इस व्रत को करने वाले के घर-परिवार में कभी कोई संकट नहीं आता और उनकी संताने हमेशा सुखी रहती हैं. यह एक मात्र ऐसा पर्व है जहां सूर्यास्त के समय उपासना की जाती है. यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

इस उपासना के दौरान पूजा करने वाली हर महिला व पुरुष के हाथ में सूप होता है जो कि बांस से बना होता है. इसी सूप में पूजा से सम्बंधित हर सामान रखा जाता है और फिर इसी के माध्यम के सूर्यदेव की पूजा की जाती है और सभी फल-पूजन सामग्री आदि अर्पित की जाती है. चूंकि ये पर्व सूर्य उपासना का है, इसलिए प्रकृति से जुड़ी चीजों का ही इस्तेमाल इस दिन किया जाता है. इसी तरह सूप चूंकि बांस से बना है. दूसरे सूप को शुभ माना गया है. सनातन धर्म में कई कार्य ऐसे हैं जिसमें सूप का इस्तेमाल करना अनिवार्य माना गया है क्योंकि सूप को शुभ माना गया है. जनेऊ आदि के कार्यों में सूप में ही वस्त्र आदि तमाम सामग्री रखकर दान करने का चलन है. यही वजह है कि इस पर्व में सूप के इस्तेमाल को ही पवित्र माना गया है तो वहीं पूजन सामग्री रखने के लिए लोग बांस या फिर लड़की की बनी डलिया का ही इस्तेमाल करते हैं.

छठ पर्व पर देखा जाता है लोग सूप को खूबसूरत ढंग से सजाकर घाट पर ले जाते हैं. सूप में मुख्य रूप से केला, सेब, अंगूर, नारंगी और तरबूज जैसे फल रखे जाते हैं. ये फल सूर्य देवता की उपासना के लिए चढ़ाए जाते हैं और व्रति के लिए आशीर्वाद का प्रतीक होते हैं.

ये पूजन सामग्री भी की जाती है शामिल

बता दें कि फलों के साथ ही ठेकुआ भी चढ़ाया जाता है. इसे जौ आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है. इसके अलावा, सूप में चिउड़े, चीनी के कटे हुए टुकड़े और अन्य मिठाइयां भी रखी जाती हैं. इसी के साथ ही सप्तधान (सात प्रकार के अनाज) की भी छठ पूजा की एक खास परंपरा है. इसमें सात प्रकार के अनाज जैसे चना, गेहूं, मक्का, तिल, जौ, मसूर दाल और मूंग दाल रखी जाती हैं. ये अनाज समृद्धि और शुभता के प्रतीक होते हैं. साथ ही शुद्धता के प्रतीक गंगाजल को भी सूप में रखा जाता है और सुंदर फूलों की पंखुड़ियां और आम के पत्ते भी सूप में डाले जाते हैं। इसके अलावा पूजा के समय दीपक और धूपबत्तियां जलाना आवश्यक होता है. ये दीपक और धूपबत्तियां सूप के ऊपर रखें जाते हैं, जिससे पूजा का वातावरण दिव्य और पवित्र बने.

सूर्य मंत्र

ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों
तेजोराशे जगत्पते।

ये मंत्र सूर्य देव को अर्घ्य देते वक्त बोला जाता है. इसका अर्थ है, “हे सहस्त्रांशो! हे तेजो राशे! हे जगत्पते! मुझ पर अनुकंपा करें। मेरे द्वारा श्रद्धा-भक्तिपूर्वक दिए गए इस अर्घ्य को स्वीकार कीजिए, आपको बारंबार शीश नवाता हूं”.

माना जाता है कि सूर्य देव की साधना से सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है. सूर्य को किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम कहा जाता है. इससे अच्छी सेहत के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलती है.

सूर्य से जुड़े कुछ और मंत्र:
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः.

छठ पूजा सामग्री

बांस चाहे पीतल का सूप, दूध, जल के लिए गिलास, चम्मच, सूर्य के अर्घ्य देने के लिए तांबे का कलश, बड़ी टोकरी, थाली, दीपक, खाजा, गुझिया, गुड़, दूध से बनी मिठाइ, लड्डू, दूध, जल, शहद, गंगाजल, चंदन, चावल, सेनुर, धुपबत्ती, कुमकुम, कपूर, मिट्टी का दीया, तेल-बाती, नारियल, ऋतुफल, कलावा, सुपारी, फूल माला, शरीफा, नाशपाती, बड़ा वाला नींबू, सिंघाड़ा, सुथनी, शकरकंदी, मूली, बैंगन, कच्ची हल्दी, कच्ची अदरक, गन्ना, केला, गेहूं, चावल, आटा आदि. इसी के साथ ही क्षेत्र के हिसाब से भी लोग पूजन सामग्री का इस्तेमाल करते हैं.

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