SHRI KRISHNA JANMASHTAMI: दान करें पीली चीज और श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से करें अभिषेक, देखें क्या होगा लाभ
इस बार भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी 30 अगस्त को पड़ रही है। ऐसा कई सालों बाद हो रहा है कि अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र दोनों ही एक दिन मिल रहे हैं। इसलिए जन्माष्टमी का पर्व इस बार एक ही दिन मनाया जाएगा। इस दिन हिंदू धर्म के लोग घरों में झांकी सजाकर भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा कर धूमधान से उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
बाबा दौलत गिरि संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ के प्राचार्य आचार्य विनोद कुमार मिश्र की मानें तो इस बार बने अद्भुत संयोग में अगर रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण को केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनेंगे। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबर धारी भी कहा गया है, जिसका अर्थ है पीले रंग के कपड़े पहनने वाला। इसलिए जन्माष्टमी के दिन पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करने से भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही माता लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
घर-परिवार में सुख लाने के लिए ये उपाए भी करें
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को पान का पत्ता भेंट करें और उसके बाद इस पत्ते पर रोली (कुमकुम) से श्री यंत्र लिखकर तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से धन वृद्धि के योग बनते हैं।
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी दल अवश्य डालें। इससे भगवान श्रीकृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं।
जन्माष्टमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इस उपाय से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। ये उपाय करने वाले की हर इच्छा पूरी होती है।
इसी के साथ इस दिन कृष्ण मंदिर जाकर तुलसी की माला से “क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि:परमात्मने प्रणत:क्लेशनाशाय गोविंदय नमो नम:” मंत्र का 11 माला जाप करें। ऐसा करने से जीवन की हर समस्या से मुक्ति मिलेगी और हर समस्या का समाधान होगा।
मथुरा में मनाते हैं नन्द महोत्सव
बता दें कि भगवान श्रीकृष्णा का जन्म मथुरा में हुआ था, लेकिन उनके पिता वासुदेव जी उनको क्रूर राजा कंस से बचाने के लिए गोकुल में बाबा नन्द के घर पर छोड़ आए थे। तभी से इस दिन को नन्द महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों से लेकर घरों में सुंदर झांकियां सजाई जाती है। यहां तक की पुलिस लाइन में भी भगवान की झांकी सजाकर उत्सव मनाया जाता है। झाकियों के माध्यम से पूरा गोकुल और मथुरा का तत्कालीन नजारा दर्शाया जाता है। खासतौर पर यह त्योहार ब्रज मंडल और पश्चमी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को भक्ति रस का अनोखा संगम माना गया है।
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