Hindu Marriage Rituals: जानें विवाह के गठबंधन में क्यों डालते हैं ये 5 चीजें? इनका महत्व जानकर हैरान रह जाएंगे आप

December 17, 2023 by No Comments

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Hindu Marriage Rituals: ये तो सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में विवाह के दौरान वर और वधू का गठबंधन किया जाता है और इसमें पांच चीजें डाली जाती हैं. मालूम हो कि, विवाह दो व्यक्तियों को पुरुषार्थ या जीवन के चार लक्ष्यों: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने के उद्देश्य से जोड़ता है. सनातन धर्म में विवाह को एक आध्यात्मिक साझेदारी माना गया है. इसीलिए सनातन में एक बार विवाह की ही परम्परा रही है. इसी के साथ ही हिंदू धर्म में विवाह केवल लड़का-लड़की ही नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच का बंधन भी माना जाता है.

ज्योतिष की मानें तो मान्यता है कि हिंदू विवाह समारोह के कई तत्व हजारों वर्षों से लगभग अपरिवर्तित रहे हैं। इस समारोह में धार्मिक जीवन और निस्वार्थ प्रेम, दया और करुणा, ईमानदारी और निष्ठा और आपसी सम्मान जैसे मूल्यों को साझा करने को बढ़ावा देने के लिए अनुष्ठानों और समारोहों की एक श्रृंखला शामिल है। अनुष्ठान मूल रूप से सभी भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत में हैं। हिंदू विवाह में अग्नि के सात फेरे लेने की परंपरा है, विवाह के दौरान लड़के और लड़की की गठबंधन की परंपरा है। इस गठबंधन के दौरान कन्या की साड़ी या चुनरी के पल्लू को वर की धोती या गमछे के छोर से बांधा जाता है उसमें कुछ चीजें डाली जाती है। तो आइए इस लेख में जानते हैं इस गठबंधन के दौरान वधू के आंचल में कौन सी पांच चीजें डाली जाती हैं और क्यों व क्या है इसका महत्व-

सिक्का: आचार्यों की मानें तो यह इस बात का प्रतीक है कि शादी के बाद धन पर किसी एक का पूर्ण अधिकार नहीं होगा, बल्कि वर और वधू दोनों का समान अधिकार रहेगा।

पुष्प: ये प्रतीक है, प्रसन्नता और शुभकामनाओं का। दोनों सदैव हंसते-खिलखिलाते रहें। एक-दूसरे को देखकर प्रसन्न हों, एक-दूसरे की प्रशंसा करें।

हल्दी: हल्दी आरोग्य और गुरू का प्रतीक है। एक-दूसरे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रयत्नशील रहें। मन में कभी हीनता न आने दें। हल्दी छूने से रंग व सुगंध छूने वाले को चढ़ता है। अतः ज़रूरी निर्णय में आपसी परामर्श करें। यानी समानभाव को प्राथमिकता दी गई है.

दूर्वा: दूर्वा प्रतीक है कि कभी प्रेम भावना न मुरझाने देना। बता दें कि दूर्वा का जीवन तत्व कभी नष्ट नहीं होता। सूखी दिखने पर भी यह पानी में डालने पर हरी हो जाती है। ठीक इसी तरह दोनों के मन में एक-दूसरे के लिए अटूट प्रेम और आत्मीयता बनी रहे।

अक्षत (चावल): इसे अन्नपूर्णा का प्रतीक माना गया है। जो अन्न कमाएं, उसे अकेले नहीं, बल्कि मिल-जुलकर खाएं। परिवार के प्रति सेवा और उत्तरदायित्व का लक्ष्य भी ध्यान में रखें। अक्षत की यही मान्यता है.

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।