होली के दोहे: गात-गात में लिख रहा,फागुन प्रणय निबंध, टूट गये सब उम्र के,अनायास प्रतिबंध…होली बधाई संदेशों में शामिल करें होली के लाजवाब दोहे, बोली में होली
होली स्पेशल। होली के रंगों के साथ अगर होली के दोहे मिल जाएं, तो फिर बात ही क्या। तो आप सभी के बधाई संदेशों को और भी दमदाम बनाने के लिए हम लेकर आए हैं होली के दोहे, जिन्हें अपनों को भेजकर होली का अपनापन और भी बढ़ाएं। मतलब होली संग अपनी हिंदी बोली का रस घोलने के लिए देखें जाने-माने कवि जयराम जय के फागुन रस में डूबे हुए दोहे- होली हो ली संग
होली हो ली संग
गात-गात में लिख रहा,फागुन प्रणय निबंध ।
टूट गये सब उम्र के,अनायास प्रतिबंध ।।
अंग-अंग में बस गया,फागुन वाला रंग।
चाल मदभरी हो गयी,यौवन ग्रसे अनंग।।
सुमनों के बंधन बंधी,यौवन रूपसि डाल।
आमंत्रण पथ की पथिक,प्रणय निवेदित चाल।।
लाल-लाल चमके चटक,गोरे-गोरे गाल।
प्रियतम दृग पूछें कहो,किसने मला गुलाल।।
सांसो की शहनाइयां,गूंजी जमकर साथ।
अंग-अंग ढीले हुए, लिए हाथ में हाथ।।
अधर-अधर पर धर दिये,जोड़ नैन से नैन।
संयम सहसा ढह गया,मिला न फिर भी चैन।।
गीली जब चूनर हुई,चढ़ा रंग पे रंग।
एक कहानी लिख गयी,होली हो ली संग।।
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