1984 में सरयू नदी के तट पर लिया गया था श्रीराम मंदिर निर्माण का संकल्प, देखें कौन-कौन हुआ था शामिल
लखनऊ। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अपने 57वें स्थापना दिवस के अवसर पर बड़ी योजना के तहत घर-घर, बस्ती-बस्ती जाने का निर्णय लिया है। ताकि सभी को हिंदू धर्म की मान्यताओं से अवगत करा सकें। खासकर युवाओं को अपने धर्म के नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूक कर सकें। इसी के साथ विहिप ने खुलासा किया कि वह अभी तक भारत के 5.25 लाख गांवों तक पहुंच चुका है और आगे भी यह अभियान जारी रहेगा।
हाल ही में विहिप के लखनऊ पूरब के कार्यकर्ताओं ने विहिप के स्थापना दिवस का कार्यक्रम गोमती नगर स्थित शिक्षण संस्थान एसकेडी एकेडमी के सभागार में आयोजित किया। इस मौके पर विहिप एवं बजरंग दल के जिला, प्रखंड ,खंड एवं बस्तियों से सैकड़ों कार्यकर्ता जोश खरोश के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान श्री राम, श्री कृष्ण एवं भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन अलोपी शंकर मौर्य,अध्यक्षता पूर्व डीजीपी, न्यायधीश ,रेरा भानु प्रताप सिंह ने किया। मुख्य रूप से मुख्य वक्ता विहिप के प्रांत संगठन मंत्री राजेश रहे। मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी चैतन्य जी महाराज ने अपने आशीर्वचनों से श्रोताओं को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर विहिप के विभाग मंत्री विजय प्रकाश शुक्ला, संगठन मंत्री लव कुश, प्रचार प्रमुख नृपेंद्र विक्रम सिंह, वरिष्ठ पत्रकार जिला मंत्री धर्मेंद्र सिंह गौर, कार्याध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप, सह मंत्री दिग्विजय नाथ तिवारी आदि मौजूद रहे।
सरयू नदी के तट पर लिया गया था राम मंदिर निर्माण का संकल्प
संगठन मंत्री राजेश ने बताया कि सात अक्टूबर,1984 अयोध्या में सरयू नदीं के तट पर रामभक्तों ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। महंत अवैद्यनाथ, रामचंद्र दास, नृत्यगोपाल दास व अशोक सिंघल आदि प्रमुख लोग इस संकल्प में शामिल हुए थे। साथ ही कहा था कि जहां राम का जन्म हुआ है वहां भव्य मंदिर बनाएंगे। उसके बाद देश का सबसे बड़ा अहिंसक जनआंदोलन शुरू किया गया। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के अंतर्गत देश के साढ़े तीन लाख गांवों में श्रीरामशिला पूजन किया गया। 9 नवंबर 1989 को कामेश्वर चौपाल के हाथों राम मंदिर का शिलान्यास हुआ। आखिरकार इस अभियान को वो पल देखने को मिला जब पांच अगस्त, 2020 को भव्य मंदिर का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों किया गया। आज हम सभी भागवान राम का भव्य मंदिर बनते हुए देख रहे हैं।
मतांतरण के खिलाफ भी रहा है विहिप
अपने स्थापना काल से ही विहिप मतांतरण के खिलाफ भी लोगों को जागरूक करता रहा है। जो लोग मतांतरित हो चुके हैं उनको भी घर वापसी की सलाह देता रहा है। एक लाख से अधिक एकल विद्यालय के माध्यम से भी विहिप ग्रामीण इलाकों में बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहा है। इसके साथ ही मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का प्रयास भी कर रहा है। विहिप ने दलित समाज के लोगों को पूजारी का प्रशिक्षण दिलाकर मंदिरों में रखवाने का काम भी शुरू करा दिया है। आज तेजी से अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए काम किया जा रहा है। समाज को तोड़ने वाली शक्तियों के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम निरंतर जारी है। अगले दो वर्षों में पूरे देश में पहुंचने की योजना विहिप बना रहा है।
जन्माष्टमी पर हुई थी विहिप की स्थापना
विहिप के अवध प्रांत संगठन मंत्री राजेश ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन ही 1964 में मुंबई स्थित चिन्मय मिशन के संस्थापक चिन्मयानंद महाराज के संदीपनी साधनालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ श्रीगुरुजी की प्रेरणा तथा संघ के वरिष्ठ प्रचारक जो बाद में परिषद के प्रथम महामंत्री बने, शिवराम शंकर आप्टे के कुशल संयोजन से इसकी स्थापना की गई थी। इस मौके पर अकाली दल के मास्टर तारासिंह, राष्ट्रसंत तूकड़ो जी महाराज, जैन संत सुशील मुनि, कन्हैयालाल माणिकाल मुंशी, गीताप्रेस के संस्थापक हनुमान दास पोद्दार जैसे देश के अनेक संत उपस्थित रहे थे। तब से लेकर अभी तक विहिप हिंदू जीवन मूल्यों, परंपराओं की रक्षा, संवर्द्धन प्रचार तथा विश्व के कल्याणा के लिए निरंतर कार्य करता आ रहा है। इसी के साथ हिंदुओं को जागरूक करने का काम भी कर रहा है। 57 वर्षों में विश्व हिंदू परिषद श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के माध्यम से देश के 5.25 लाख गांवों तक पहुंच गया है।
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