Kharmas 2024: 14 मार्च से खरमास शुरू, 13 अप्रैल तक नहीं हो सकेंगे विवाह आदि मांगलिक कार्य, जानें क्या होता है “खर” का अर्थ

March 14, 2024 by No Comments

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Kharmas 2024: गुरुवार यानी 14 मार्च से खरमास शुरू हो गए हैं. आज मीन संक्रांति है। इस दिन सूर्य मीन राशि में परिवर्तन होंगे और 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक सूर्य इसी राशि में विराजमान रहेंगे। आचार्यों की मानें तो सूर्य के मीन राशि में गोचर करने से खरमास शुरू हो जाएगा जो कि एक महीने तक रहेगा. शास्त्रों में खरमास के शुरू होने पर शुभ और मांगलिक आयोजन जैसे विवाह, सगाई, गृहप्रवेश, मुंडन और जनेऊ जैसे मांगलिक और धार्मिक संस्कार नहीं हो सकेगे.

जानें कब लगता है खरमास
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य हर एक माह में अपनी राशि बदलते हैं। इस तरह से सूर्य एक साल में कुल 12 बार राशियां बदलते हैं। सूर्य जब गुरु ग्रह की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब इस खरमास कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, खर का अर्थ होता है दुषित और मास का मतलब महीना। यानी खरमास के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करते हैं।

पंचांग के अनुसार भगवान सूर्य कुंभ राशि से निकलकर 14 मार्च को रात 12:24 बजे मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। सूर्यदेव मीन राशि में 13 अप्रैल रात 9:03 बजे तक रहेंगे और इसके बाद वह मेष राशि में प्रवेश करेंगे और इसके साथ ही खरमास का समापन हो जाएगा। इस अवधि में धार्मिक कार्य यानी पूजा-पाठ और हवन तो किए जा सकते हैं लेकिन किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं।

जानें साल में कितनी बार लगता है खरमास
साल में दो बार खरमास लगता है. धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। सूर्यदेव के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि, इस दौरान सूर्य के संपर्क में आने से देवगुरु बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो जाता है। एक बार सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह से साल में दो बार खरमास लगता है.

शुभ कार्य होते हैं वर्जित
सूर्य को एकमात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक हैं माना गया है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेशजी,शिवजी,विष्णुजी,देवी दुर्गा और सूर्य की पूजा की जाती है। जब खरमास में सूर्य अपने गुरु की सेवा में होते हैं तो इस ग्रह की शक्ति कम हो जाती है। साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कम होता है। इसीलिए माना गया है कि इस दौरान शुभ कार्यों पर सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है। इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. या ये कहें कि आचार्य इस दौरान मांगलिक कार्य न करने की सलाह देते हैं. विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो विवाह सफल होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं.

करें ये काम
मान्यता है कि खरमास के दौरान दान करने से तीर्थ स्न्नान जितना पुण्य फल मिलता है। इस दौरान जरूरतमंद लोगों को,गरीबों,ब्राह्मणों की सेवा करने का बहुत महत्व है। इस माह निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत आदि किए जाते हैं,उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप करना भी बहुत लाभकारी माना गया है। किसी गोशाला में,हरी घास और गायों की देखभाल के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान कर सकते हैं। पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन,अनाज,कपड़े,जूते-चप्पल का दान जरूर करें।

DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)