नाग पंचमी विशेष: जानिए प्राचीन काल में लोग नाग पंचमी के दिन क्यों लगाते थे रस्सी में सात गांठें
हिंदू समाज में नाग पंचमी का पर्व धूम धाम से मनाए जाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। क्योंकि इस दिन नागों की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है और नाग भगवान शिव के गले में विराजमान होता है। इसलिए हिंदू समाज में नागों को भी उतना ही पूजा जाता है, जितना कि शिव जी को। सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह त्योहार मनाया जाता है।
अगर धार्मिक पुस्तकों में देखें तो प्राचीन काल की एक परम्परा का जिक्र होता है। जिसके अनुसार इस दिन लोग पूजा करने के लिए एक रस्सी में सात गांठें लगाकर रस्सी का सांप बनाकर इसे लकड़ी के पट्टे के ऊपर सांप की तरह लपेट कर बैठा दिया जाता था। इसके बाद उसे नाग का प्रतीक मानकर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर पूजा की जाती थी। इसी के साथ उसे भोग के रूप में कच्चा दूध, घी, चीनी आदि अर्पित करते थे और आरती उतारते थे। फिर कच्चे दूध में शहद मिलाकर सांप की बांबी अथवा बिल में डाल देते थे। फिर वहां की मिट्टी लेकर अपने घर में सांप बना कर घर के कोनों में रख देते थे। फिर नाग पंचमी की कथा सुनते थे।
यह तो हम सभी जानते हैं कि वर्षा रितु में बिलों में पानी भर जाने के कारण सांप बाहर निकल आते हैं और छुपने के लिए सूखी जगह ढूंढते हुए कभी किसी के घर अथवा दुकानों आदि में घुस जाते हैं। ऐसे में लोग खुद को बचाने के लिए सांपों पर प्रहार भी कर देते हैं। सांपों को बचाने के लिए ही हिंदू समाज में उसकी पूजा का प्रचलन शुरू किया गया और उसे धर्म-अध्यात्म से जोड़ दिया गया।
गरुड़ पुराण में कहा गया है ये
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री ने बताया कि गरुड़ पुराण में कहा गया है कि नाग पंचमी के दिन घर के दोनों ओर नाग की मूर्ती खींचकर अनन्त आदि प्रमुख महानागों का पूजन करना चाहिए।
देखिए क्या कहता है स्कन्द पुराण और नारद पुराण
नाग पंचमी के लिए स्कन्द पुराण के नगर खण्ड में कहा गया है कि श्रावण मास की पंचमी के दिन चमत्कारपुर में रहने वाले नागों को पूजने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नारद पुराण में उल्लेख है कि अगर नागों के काटने से बचना है तो कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नाग व्रत करें। इसी के साथ सलाह दी गई है कि भादों कृष्ण पंचमी के दिन नागों को दूध अर्पित करना चाहिए। इससे भी सांप के काटने का भय खत्म होता है। नाग पंचमी के दिन भूमि नहीं खोदनी चाहिए।