लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मानसिक रूप से सशक्त बनाएंगे मुम्बई के एक्सपर्ट, जानें क्या है पूरी जानकारी
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow university) अब छात्र-छात्राओं को जीवन में आने वाली कठिनाइयों का डट कर सामना करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत भी बनाएगा। ताकि हमारे देश के युवा करियर आदि में आने वाली किसी भी तरह की समस्या का मुंह तोड़ जवाब दे सकें। इसके लिए विश्वविद्यालय में आगे कदम बढ़ाते हुए एक MOU साइन किया है। विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक हैप्पी थिंकिंग लेबोरेटरी, मनोविज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय एवम मैत्रीबोध परिवार, मुंबई के युवा विंग YGPT (यूथ फॉर ग्लोबल पीस एंड ट्रांसफॉरमेशन) के मध्य एक MOU साइन किया है। इसके तहत
क्या है YGPT
YGPT मैत्रीबोध परिवार द्वारा युवाओं के लिए बनाई गई एक शाखा है, जिसका प्रारंभ मैत्रेय दादा के निर्देशन में वर्ष 2013 में किया गया था, जिसका लक्ष्य युवाओं को मानसिक रूप से सशक्त बनाकर, उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। इस शाखा में युवाओं की एक टीम है, जो पूरी लगन एवं निष्ठा से मानवता की सेवा में जुटी रहती है। इस टीम में बहुत ही सफल एवं सुस्थापित प्रोफेशनल्स जुड़े हुए हैं, जो युवाओं को नई दिशा देने का काम करते हैं। इस एमओयू में लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय एवं YGPT की ओर से दीक्षित मेहरा एवं हरगुन सिंह सचदेवा ने हस्ताक्षर किए।
2020 में राज्यपाल ने किया था हैप्पी थिंकिंग लेबोरेटरी का उद्घाटन
बता दें कि विश्वविद्यालय में हैप्पी थिंकिंग लेबोरेटरी का उद्घाटन कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 21 नवंबर 2020 को विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान किया गया था। इस सम्बंध में प्रो. मधुरिमा प्रधान, निदेशक, हैप्पी थिंकिंग लेबोरेटरी ने बताया कि प्रयोगशाला लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों की संवेगात्मक एवं आध्यात्मिक बुद्धि को उन्नत करने एवं उनके मनोआध्यात्मिक विकास के लिए करीब एक साल पहले स्थापित की गई थी।
इस तरह विद्यार्थियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
प्रो. मधुरिमा प्रधान ने बताया कि हैप्पी थिंकिंग लेबोरेटरी, मनोविज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय और YGPT के बीच हुए साइन हुए MOU के तहत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक एवं मनोआध्यात्मिक विकास के लिए व्याख्यान, कार्यशाला एवं अन्य प्रोग्रामों का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत 21वीं सदी के अनुसार छात्रों को विकसित किया जाएगा। तेजी से बदल रही कंप्यूटर युग से संबंधित समस्याओं के निराकरण के बारे में जानकारी दी जाएगी। इससे विद्यार्थियों में न केवल शैक्षणिक विकास होगा बल्कि वे जीवन की चुनौतियों का सामना भी अच्छी तरह से कर सकेंगे। अधिक स्थिर एवं आशावादी और तनाव मुक्त हो सकेंगे। इस प्रकार परंपरागत शिक्षा पद्धति एवं नई शिक्षा पद्धति के बीच की दूरी को कम करने के साथ ही विद्यार्थियों को जीवन में सफल एवं सुखी होने के मार्ग को प्रशस्त किया जाएगा।