New Epidemic Risk: कोविड-19 के बाद इस ‘नई महामारी’ को लेकर विशेषज्ञों ने पूरी दुनिया को किया अलर्ट…कहीं आप में भी तो नहीं ये आदत?

October 14, 2024 by No Comments

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New Epidemic Risk-Myopia: कोरोना महामारी की पकड़ भले ही अब कमजोर पड़ गई है लेकिन इसके संक्रमण का खतरा वैश्विक स्तर पर लगातार बना हुआ है. बता दें कि 2019 के अंत में कोविड-19 (Covid-19) महामारी ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी थी और फिर करोड़ों लोगों की मौत से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रहा.

तो वहीं महामारी के खत्म होने के बाद वायरस में म्यूटेशन से उत्पन्न होने वाले नए-नए वेरिएंट्स लगातार विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. तो वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बढ़ती एक नई महामारी को लेकर पूरी दुनिया को अलर्ट किया है.

ऐसे जन्म ले रही है नई महामारी

इस नई बीमारी का खतरा मोबाइल, टेलीविजन, लैपटॉप आदि से बढ़ रहा है. आजकल हम लोग किसी न किसी वजह से स्क्रीन से चिपके रहते हैं और अधिक से अधिक समय इसको देने की वजह से एक नई महामारी ने जन्म ले सकती है. इसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि दुनियाभर में बहुत तेजी से आंखों से संबंधित समस्या, विशेषतौर पर मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

बढ़ रहा है अंधापन

विशेषज्ञों का दावा है कि मायोपिया की समस्या सबसे अधिक बच्चों में देखने के मिल रही है. इससे कम दिखाई देने और समय के साथ अंधेपन का खतरा बढ़ जाता है। अगर समय रहते इसे नियंत्रित करने के लिए प्रयास न किे गए तो अगले एक-दो दशक में वयस्कों की बड़ी आबादी मायोपिया से पीड़ित हो सकती है। विशेषज्ञों की इस ताजा रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है.

साल 2050 तक दुनिया की आधी आबादी हो सकती है मायोपिया से पीड़ित

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मायोपिया की समस्या लगातार बढ़ रही है तो वहीं कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी मायोपिया से पीड़ित हो सकती है। क्योंकि कोरोना महामारी ने इसके जोखिमों को और भी बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बचपन में मायोपिया की समस्या काफी चिंताजनक है. यह सिर्फ चश्मे पर निर्भरता की समस्या नहीं है बल्कि इसके कारण ग्लूकोमा और रेटिनल डिटेचमेंट जैसी आंखों की अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।

इसलिए बढ़ रहे हैं मायोपिया के मामले

‘द लैंसेट डिजिटल हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि टीवी-मोबाइल, कम्यूटर आदि की स्क्रीन से अधिक समय तक चिपके रहने के कारण बच्चों से लेकर बड़ों तक में ये समस्या पहले की तुलना में कोरोना के बाद बढ़ी है. स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना मायोपिया के खतरे को 30 फीसदी तक बढ़ा देता है। इसके अलावा कंप्यूटर के अत्यधिक इस्तेमाल से भी इसका जोखिम बढ़कर करीब 80 प्रतिशत हो गया है। तो वहीं कोविड-19 के दौरान अधिक से अधिक समय तक घर पर रहना, बाहर खेलकूद में कमी और ऑनलाइन क्लासेज के कारण आंखों से संबधित इस रोग के मामले बच्चों में और अधिक बढ़े हैं.

शोध में सामने आई ये बात

ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बच्चों में मायोपिया की बढ़ती समस्या को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. इसी के साथ ही बताया गया है कि 50 देशों में पांच मिलियन (50 लाख) से अधिक बच्चों और किशोरों पर किए गए शोध में पाया गया है कि एशियाई देशों में इसका जोखिम सबसे अधिक देखा जा रहा है। जापान में 85% और दक्षिण कोरिया में 73 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष से ग्रस्त हैं, जबकि चीन और रूस में 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे इससे प्रभावित हैं।

जानें क्या है मायोपिया?

नेत्र रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) आंखों की गंभीर समस्या है, जिसमें रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट रूप से देखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। सामान्यतौर पर आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश ठीक से फोकस नहीं कर पाता है। इस समस्या की वजह से आंख का आकार बदल जाता है।

बढ़ा मानसिक रोगों का खतरा

नेत्र रोग विशेषज्ञ ये भी बताते हैं कि ये समस्या सिर्फ आंखों तक ही सीमित नही हैं, इसके कारण मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है। ज्यादातर मामलों में मायोपिया का निदान बचपन में ही किया जाता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मायोपिया के शिकार लोगों में भविष्य में स्ट्रेस-एंग्जाइटी और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की अन्य विकारों का जोखिम अधिक हो सकता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि बच्चों को पार्क आदि में खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करें.

DISCLAIMER:  ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल खबरों व विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई है. खबर स्टिंग लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें और किसी भी उपाय को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें.

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