Rambha Ekadashi: रम्भा एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण के केशव रूप से साथ करें तुलसी जी की भी पूजा, पढ़ें दो कथा
Rambha Ekadashi: कार्तिक मास को शास्त्रों में पुण्यफलदायी मास बताया गया है. इस जैसा मास किसी अन्य मास को नहीं बताया गया है। इसीलिए अधिकांश लोग इस पूरे माह गंगा स्नान भी करते हैं। तो वहीं कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रम्भा, रमा और तुलसी एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के पूर्णावतार कृष्ण जी के केशव रूप के साथ ही तुलसी जी की भी पूजा की जाती है। इसके सम्बंध में दो कथाएं भी प्रचलित हैं।
जानें रम्भा एकादशी के बारे में
आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि दीपावली के चार दिन पहले पड़ने वाली इस एकादशी को लक्ष्मीजी के नाम से रमा अथवा रम्भा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के पूर्णावतार कृष्णजी के केशव रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान का सम्पूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य तथा आरती कर प्रसाद वितरित करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से जीवन में वैभव और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी एकादशी
इस एकादशी को तुलसी एकादशी भी कहते हैं। ये तो सभी जानते हैं कि तुलसी पौधे की महिमा वैद्यक ग्रंथों के साथ-साथ धर्मशास्त्रों में भी बढ़-चढ़कर की गई है। शास्त्रों में तुलसी को विष्णुप्रिया भी माना गया है। इस सम्बंध में एक कथा भी प्रचलित है।
यहां पढ़ें कथा- 1
कथा-2
DISCLAIMER:यह लेख धार्मिक मान्यताओं व धर्म शास्त्रों पर आधारित है। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते। किसी भी धार्मिक कार्य को करते वक्त मन को एकाग्र अवश्य रखें। पाठक धर्म से जुड़े किसी भी कार्य को करने से पहले अपने पुरोहित या आचार्य से अवश्य परामर्श ले लें। KhabarSting इसकी पुष्टि नहीं करता।)