SHRI KRISHNA JANMASHTAMI: जन्माष्टमी व्रत करने से टल जाती है अकाल मृत्यु, वायु और भविष्य पुराण में किया गया है वर्णन

November 27, 2021 by No Comments

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सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए देश भर के कृष्ण मंदिर सजधज कर तैयार हो गए हैं तो वहीं दूसरी ओर इस पावन दिन को लेकर आचार्य ने पुराणों के माध्यम से विशेषता बताई है। बाबा दौलत गिरि संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ के प्राचार्य आचार्य विनोद कुमार मिश्र बताते हैं कि इस दिन व्रत और पूजन करने के महत्व को पुराणों में विस्तार से बताया गया है। इसी के साथ इससे क्या लाभ है, इसकी भी जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत-उपवास का पावन दिन है।  

देखिए क्या कहता है वायु पुराण
वायु पुराण के साथ ही तमाम ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है। इसमें बताया गया है कि जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है। साथ ही ऐसा भी लिखा है कि जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह या कमजोर लोगों को पूरा व्रत रखने की आवश्यकता नहीं। जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है। उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है। जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने पर भी मिल जाएगा। 

भविष्य पुराण
भविष्य पुराण के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और रोग रहित जीवन देने वाला है। यह अकाल मृत्यु को टालता है। कष्टों से बचाने वाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगाने वाला होता है। बता दें कि इस बार 30 अगस्त को पड़ी जन्माष्टमी बहुत ही खास बन पड़ी है, क्योंकि इस बार अष्टमी तिथि के साथ ही रोहिणी नक्षत्र भी मिल रहा है। जबकि अमूमन इन दोनों का संयोग साथ में नहीं पड़ता है। इसी वजह से कई सालों से जन्माष्टमी व्रत उत्सव दो दिन मनाए  जाते थे, लेकिन इस बार एक दिन ही मनाया जाएगा।  

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