पाकिस्तानी एथिकल हैकर से प्रेरणा ले, किसान के बेटे ने उठाया ये कदम, आज बना है यूथ आइकन

November 27, 2021 by No Comments

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लखनऊ/वाराणसी।  पाकिस्तानी एथिकल हैकर से प्रेरणा लेकर एक किसान का बेटा आज साइबर जगत में अपना नाम रोशन कर रहा है। कम उम्र में तमाम उपल्बिधयों को अपने नाम करने के वाले वाराणसी के मृत्युंजय सिंह आज युवाओं के आइकन बन गए हैं। साइबर जगत के बारे में हर युवा को जानकारी हो, इसके लिए वह सरल भाषा में दो किताबें भी लिख चुके हैं। वर्तमान में भी वह कई ऐसे एप्लीकेशन इजाद करने में लगे हैं, जिससे देश के नागरिकों को भविष्य में सुविधा मिलेगी।  

अपने संघर्ष के दिनों की यादें ताजा करते हुए मृत्युंजय बताते हैं कि साइबर सिक्योरिटी की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने अपना पूरा समय एथिकल हैकिंग की अधिक से अधिक जानकारी जुटाने में लगाते थे। उनका कहना है कि अगर आपको कोई चीज चाहिए, तो इसके लिए हद से ज्यादा जूनून और जोश की जरूरत होती है। तभी आप अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। उनको सात साल की उम्र से ही इंटरनेट जगत से प्यार हो गया था, जो धीरे-धीरे जूनून में तब्दील हो गया। नतीजतन पढ़ाई के दौरान वह साइबर जगत की नई-नई चीजों के बारे में जानकारी जुटाने में लगे रहते थे। बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर के आर्थिक सहयोग के लिए वह हैदराबाद की एक कंपनी में नौकरी करने लगे, लेकिन अपने शौक को बरकरार रखा। जब उन्हें मौका मिलता। वह इस काम में जुट जाते और नामी कंपनियों की वेबसाइट पर बग खोजने लगते। वह अब तक तमाम कम्पनियों की लगभग सौ खामियां (बग) खोज चुके हैं।

बहुत छोटे से स्कूल में हुई पढ़ाई
वाराणसी शहर के सिगरा इलाके में रहने वाले मृत्युंजय सिंह के पिता योगेंद्र कुमार सिंह एक किसान हैं। मृत्युंजय सिंह की शुरुआत से इंटर तक की पढ़ाई चंदौली के नेशनल इंटर कालेज से हुई। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई रायपुर छत्तीसगढ़ से की। यहां उन्होंने साइबर सिक्योरिटी में एडमिशन लिया में। इस कॉलेज की जानकारी भी उन्होंने इंटर की पढ़ाई के दौरान ही इंटरनेट के जरिए हासिल की थी। 

किताबों ने दी आगे बढ़ने की प्रेरणा
पढ़ाई के दौरान सिंह ने पाकिस्तानी एथिकल हैकर रफे बलौच की एक पुस्तक से प्रेरणा मिली। इसके बाद से ही उनका रुझान हैकिंग की पढ़ाई का ओर गया। शुरूआती दौर में वह इंटरनेट पर इसके बारे में पढ़ने और जानकारी हासिल करने में जुटे रहते थे। साइबर सिक्योरिटी की पढ़ाई के दौरान 2012 में मृत्युंजय सिंह के एक दोस्त ने भारत के एथिकल हैकर अंकित फाडिया की पुस्तक ‘नेटवर्क सिक्योरिटी: हैकर्स पर्सपेक्टिव’ दी, तो उसे पढ़ने के लिए उसकी फोटोकॉपी करा कर रख ली। मृत्युंजय बताते हैं कि अंकित सिंह फाडिया भारत के डिजिटल इंडिया के ब्रांड एंबेसडर भी रहे हैं।

इजाद की विजीएम वेब अटैक सिक्योरिटी 
बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में जन्मे मृत्युंजय सिंह का शौक और जुनून उन पर इतना हावी हुआ कि वो कंप्यूटर साइंस बैकबेंचर से एथिकल हैकर बन गए और साइबर सुरक्षा की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल कर लिया। महीने में लाखों कमाने वाले सिंह, दुनिया भर की तमाम नामी कंपनियों की सुरक्षा खामियों (बग) को बताते हैं। इसके लिए इनको नगद धनराशि के साथ ही कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। मृत्युंजय सिंह को एक नयी वेब अटैक विजीएम सिक्योरिटी को इजाद करने के लिए भी जाना जाता है। फिलहाल कम उम्र में साइबर जगत में अपनी एक अलग जगह बनाने की वजह से वह यूथ ऑइकन बन गए हैं।  

पुलिस डिपार्टमेंट भी ले चुका है मदद
मृत्युंजय सिंह ने बताया कि वह भारत के पुलिस डिपार्टमेंट की सुरक्षा टीम के साथ भी काम कर चुके हैं। वह भारत सरकार की प्रमुख वेबसाइट एनआईसी की साइबर सिक्योरिटी टीम का भी हिस्सा रहे हैं।

युवाओं और छात्रों के लिए बने प्रेरणा, दी कार्यशाला 
मृत्युंजय सिंह साइबर सेल के अधिकारियों के साथ ही भारत के कई प्रतिष्ठित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला कर चुके हैं। पुलिस डिपार्टमेंट रायपुर , दुर्ग , भिलाई जैसे पुलिस डिपार्टमेंट में भी सेवा देकर भारत माता की सुरक्षा के लिए काम कर चुके हैं। 

मार्शल आर्ट में भी आगे
मृत्युंजय को जिस तरह इंटरनेट की दुनिया से प्यार है, ठीक उसी तरह उनको खेलों से भी प्यार है। खेलों में उनको मार्शल आर्ट बेहद पसंद है। वह ताइक्वांडो में ग्रीन बेल्ट हैं। इसके अलावा उन्हें संगीत सुनने का भी शौक है। उन्हे अपनी भारतीय संस्कृति और धर्म शास्त्र को पढ़ने और समझने का भी बहुत शौक है। इसीलिए वह महाभारत सीरियल कई बार देख चुके हैं। उनका मानना है कि महाकाव्य महाभारत में दिए गए पात्रों का जीवन कहीं न कहीं हर व्यक्ति के जीवन से मेल खाता है। 

मेडिटेशन को बनाया अपना गुरु
मृत्युंजय सिंह ने एकग्रता और ध्यान के लिए मेडिटेशन को अपना गुरु बना लिया है। तभी तो वह इतने कठिन कार्य को आसानी से कर पाते हैं। उनका कहना है कि वह प्रतिदिन ध्यान और योग करते हैं। अध्यात्म में भी विशेष रुचि हैं। वह लैपटॉप पर घंटों काम करते हैं। ऐसे में वह अपने काम में एकाग्रता बनाए रखने के लिए ध्यान करते हैं। क्योंकि वह जिस पेशे से जुड़े हैं,उसमें एकाग्रता बहुत जरूरी है।

आविष्कार
सिंह ने विजीएम सिक्योरिटी नाम की एक कम्पनी बनाई है और इसी के नाम से एक सॉफ्टवेयर विकसित कर चुके हैं। इसकी खासियत यह है की यह सॉफ्टवेयर किसी भी टाइप के वेब अटैक से बचाता है और वेब सिक्योरिटी को खोज कर उसको फिक्स करता है। उन्होंने अब तक इस सॉफ्टवेयर की मदद से करीब 9 हजार से अधिक वेबसाइट को सिक्योरिटी प्रदान की है। 
 
दो किताबें भी हो चुकी हैं प्रकाशित 
मृत्युंजय सिंह साइबर सिक्योरिटी पर २ किताबें भी लिख चुके हैं। हैकिंग विथ मृत्युंजय सिंह और कम्पलीट हैकिंग एन्ड साइबर सिक्योरिटी नाम की किताबें अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं। इसी के साथ मृत्युंजय सिंह के जीवन पर  (स्ट्रगल – मृत्युंजय सिंह हैकर) नाम की किताब को धारणा सिंह भार्गव नाम की लेखिका ने लिखा है, जो फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

 उपलब्धियां
2016 में माइक्रोसॉफ्ट ने उन्हें एक बग निकालने पर सात हजार अमेरिकी डॉलर बतौर पुरस्कार दिया। 
 यूनाइटेड एयरलाइंस ने अपने बग बाउंटी अधिग्रहण के भीतर सुरक्षा कमजोरियों (बग) की रिपोर्ट करने पर 7 लाख 50 हजार माइलेजप्लस माइल्स की मुफ्त यात्रा से पुरस्कृत किया। एप्पल, याहू, ट्वीटर, अमेजन, आईबीएम समेत कई दिग्गज कंपनियों को सुरक्षा खामियों (बग) की सूचना भी दे चुके हैं। 

जानिए क्या है बग और एथिकल हैकर
आप अक्सर सुनते होंगें कि फलां-फलां संस्थान की वेबसाइट को साइबर शातिरों ने हैक कर लिया। वेबसाइट की वह कमी या त्रुटि जिसके चलते वेबसाइट हैक होती है। उस खामी (कमी, त्रुटि) को ही बग कहते हैं। एथिकल हैकर वह होते हैं, जो लीगल तौर पर किसी भी वेबसाइट पर जाकर उनकी कमी (बग) को खोजते हैं और उसे बताते हैं। साथ ही बताते हैं कि इस कमी को कैसे दूर किया जा सकता है। ताकि वेबसाइट को हैक होने से बचाया जा सके।