Home » कानपुर BSA पर लगाया गया 25 हजार का जुर्माना, एक शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे पिछले 8 साल से कर रहा है नौकरी, देखें क्या है पूरा मामला और क्या कहा जिला बेसिक शिक्षाधिकारी पवन तिवारी ने
कानपुर BSA पर लगाया गया 25 हजार का जुर्माना, एक शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे पिछले 8 साल से कर रहा है नौकरी, देखें क्या है पूरा मामला और क्या कहा जिला बेसिक शिक्षाधिकारी पवन तिवारी ने
कानपुर/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के जिला बेसिक शिक्षाधिकारी (BSA) पवन तिवारी पर 25 हजार का अर्थदंड लगाया गया है। आरोप है कि उन्होंने जन सूचना अधिकार (RTI) के तहत शिक्षक नियुक्ति का विवरण मांगे जाने की जानकारी नहीं दी, जो कि उन पर भारी पड़ गई और उत्तर प्रदेश सूचना आयोग ने उन पर 25 हजार का जुर्माना लगा दिया।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक विवाद 2018 से चला आ रहा है। अरशद अली ने बीएसए कार्यालय में एक शिक्षक की नियुक्ति के मामले में आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी, जिसका जवाब कार्यालय द्वारा नहीं दिया गया। इस सम्बंध में कई बार रिमाइंडर भेजा गया तो पत्रावलियों के अवलोकन के लिए ब्लॉक भेज दिया गया और जो जानकारी मांगी गई, उसे नहीं दिया गया। इस मामले में वादी ने यह भी बताया कि एक शिक्षक ने अपना जाति प्रमाण पत्र के साथ ही आवास प्रमाण पत्र भी गलत लगाया है। बावजूद इसके शिक्षक बिना किसी डर से पिछले 7-8 सालों से नौकरी कर रहे हैं। इसी वजह से आरटीआई का सहारा लिया था और जानकारी मांगी थी, लेकिन अधिकृत जानकारी नहीं मिल सकी थी।
आयोग के समक्ष नहीं हुए पेश इस मामले में आयोग ने कई तारीखों पर अधिकारी को बुलाया लेकिन वह स्वयं नहीं पहुंचे बल्कि उनका प्रतिनिधित्व किसी अन्य कर्मचारी आदि ने किया। बावजूद इसके जो जानकारी मांगी गई थी, वह नहीं मिली। दूसरी ओर एडी बेसिक को भी आयोग के आदेश की प्रति भेजी गई, जिसमें बताया गया कि निर्णय आरटीआई के संदर्भ में अरशद अली बनाम जन सूचना अधिकार (बीएसए कानपुर नगर) के संदर्भ में लिया गया है। इस मामले में यह भी जानकारी सामने आ रही है कि फैसला तो 2019 में ही हो जाता, लेकिन कोरोना महामारी के कारण मामला टल गया। इसके बाद इस केस पर 17 मई 2022 को फैसला सुनाया गया है। आदेश के मुताबिक जुर्माने की वसूली पांच किस्तों में किए जाने को कहा गया है।
देखें क्या कहा बीएसए ने इस सम्बंध में बीएसए कानपुर पवन तिवारी का कहना है कि इस मामले में जांच चल रही है। मुझे भी आज ही मालूम हुआ है। खंड शिक्षाधिकारी भीतरगांव को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आयोग के सामने कर्मचारी भेजा गया था, फिर भी किस तरह यह अर्थदंड लगाया गया है, इसके बारे में मैं जानकारी एकत्र कर रहा हूं।