बढ़ती महंगाई: रसोई गैस की कीमत बढ़ते ही गृहणियों का फूटा सरकार पर गुस्सा, देखिए क्या कहा

November 27, 2021 by No Comments

Share News

नई दिल्ली। पेट्रोल-डिजल के बढ़ते दामों ने तो वैसे ही आम आदमी के बजट को बिगाड़ रखा है, ऊपर से रसोई गैस का दाम बुधवार को बढ़ जाने के कारण लोगों में भारी रोष व्याप्त हो गया है। गृहणियों ने रसोई गैस के बढ़े दामों पर घोर नाराजगी जताते हुए सरकार को जमकर कोसा है। 

गौरतलब है कि बुधवार को तेल विपणन कंपनियों ने गैर-सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में 25 रुपये की बढ़ोत्तरी कर दी है। इस तरह से दिल्ली में 14.2 किलोग्राम के गैस-सिलेंडर, जो बिना सब्सिडी के हैं, की कीमत अब 884.50 रुपये होगी। कोलकाता सहित चार मेट्रो शहरों में इसकी सबसे अधिक कीमत  911 रुपये होगी, तो वहीं चेन्नई और मुंबई में इसकी कीमत बढ़कर 900.5 रुपये और 884.50 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई है। बता दें कि 15 दिनों में यह दूसरी बार है, जब गैस सिलेंडर में बढ़ोत्तरी की गई है। गत 18 अगस्त को भी 25 रुपये की वृद्धी की गई थी।

तो दूसरी ओर 19 किलो के वाणिज्यिक सिलेंडर की कीमत में 75 रुपये की वृद्धि कर दी गई है। इस तरह दिल्ली में एक सिलेंडर की कीमत बढ़कर 1,693 रुपये हो गई है। लगातार रसोई गैस बढ़ रही कीमतों के कारण सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है। तो वहीं इस मामले में विपक्ष ने भी निशाना साधा है। कांग्रेस ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पिछले साल नवंबर से सरकार ने रसोई गैस की कीमत में 265 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोत्तरी कर दी है। दूसरे मई 2020 से रसोई गैस पर कोई सब्सिडी नहीं दी है।

नौकरीपेशा डा. अनामिका बाजपेई कहती हैं कि सरकार ने धीरे-धीरे कर मंहगाई इतना बढ़ा दी है कि आम आदमी का खाना दुश्वार हो गया है। इस तरह होटल और रेस्टोरेंट के साथ ही ढाबों में भी भोजन के दाम बढ़ जाएंगे। ढाबों में खाना वही खाने जाते हैं, जो डेली मजदूरी कर के कमाते हैं। ऐसे में उनका पेट कैसे भरेगा।

शिक्षिका रंजना  पाण्डेय कहती हैं कि सरसों के तेल से लेकर सरकार ने हर चीज महंगी कर दी है। अब तो तीज-त्योहार तक मनाना मुश्किल हो गया है। सरकार को कम से कम दिहाड़ी मजदूरों के बारे में तो सोचना चाहिए, जो रोज कमाते-खाते हैं। रसोई गैस की कीमत बढ़ने से हर चीज की कीमत अपने आप ही बढ़ जाएगी। 

एडवोकेट सुरुचि बाजपेई कहती हैं कि घर चलाने के लिए जो बजट निर्धारित किया था, अब वो भी कम पड़ने लगा है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर रसोई तक की चीजों में महंगाई चरम पर पहुंच गई है। 

गहणी ममता त्रिवेदी कहती हैं कि भाजपा सरकार को इसलिए वोट देकर नहीं जिताया था कि दिन पर दिन महंगाई बढ़ाते जाएं। हम नौकरी वाले लोगों की सैलरी तो बढ़ती नहीं महंगाई बढ़ जाती है। भला ऐसे में कैसे बजट बने। इस मंहगाई ने तो अच्छा-खाना-पीना सब दुश्वार कर दिया है।