नाग पंचमी: भस्म आरती से फूटी भोर, परम्परा में लिपटी गुड़िया पर चली रंगीन छड़ियां, देखें वीडियो
देश भर में नाग पंचमी का त्योहार पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया गया। शिवालयों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना हुई तो महाकाल मंदिर राजेद्र नगर लखनऊ में भोर में 4 बजे ही बाबा की भस्म आरती की गई। इस मौके पर जगह-जगह चौराहों पर बच्चों द्वारा गुड़िया पीटने की परम्परा भी निभाई गई।
इसी के साथ सपेरे गली-मोहल्लों में नागों व सांपों को लेकर घूमते रहे तो लोगों ने नागों के दर्शन कर आशीष प्राप्त किया व दान-पुण्य भी किया। इस दौरान सोशल मीडिया पर भी नाग पंचमी को लेकर लोगों में खूब उत्साह दिखाई दिया।
घर-घर, मंदिर-मंदिर हुई पूजा-अर्चना
नाग पंचमी पर हर घर में पूरे रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की गई। महिलाओं ने घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से नाग बनाकर परम्परागत पूजा की और दान-दक्षिणा भी की। देश भर के सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। अगर बात करें उत्तर प्रदेश की राजधानी के राजेंद्र नगर में स्थित महाकाल मंदिर की तो, यहां भस्म आरती का सुंदर नजारा भक्तों को देखने को मिला।
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बाबा की भस्म आरती से फूटी भोर ने लोगों को शिवमय कर दिया। लोगों ने बेलपत्र, धतूरा, दूध आदि अर्पित कर भोले बाबा की पूजा-अर्चना की। तो वहीं शिव मंदिरों में लगी सपेरों की भीड़ में लोगों ने सांपों व नागों की पूजा कर दान-दक्षिणा भी की। इस दौरना महाकार बाबा, भोले बाबा की जयकार से शिवालय गुंजायमान होता रहा। हर जगह भोले बाबा के भजन गूंजते रहे।
चौराहों पर बच्चों ने पीटी गुड़िया
नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। इसी परम्परा को 21वीं सदी में भी हिंदू समाज द्वारा बखूबी निभाया जा रहा है। नाग पंचमी पर भी इसकी झलक देखने को मिली। महिलाएं कपड़े की गुड़िया बनाकर चौराहों पर लेकर पहुंचीं तो साथ ही बच्चे भी रंग-बिरंगी छड़ी के साथ पहुंचे और कपड़े की गुड़ियों को जमकर पीटा। इसके बदले बच्चों को रुपए दिए गए। इस परम्परा को लेकर कोई खास मान्यता नहीं है और न ही धर्म ग्रंथों व शास्त्रों में इसका कहीं वर्णन है, ये बस लोकाचार है, जो सदियों से चला आ रहा है। आपको बता दें कि इस लेख का उद्देश्य हिंदू समाज की परम्परा से लोगों को अवगत कराना है। हम किसी भी रूढ़िवादी परम्परा के पक्ष में नहीं हैं।
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सांपों को पकड़ना है कानून अपराध
यहां बता दें कि नागों व सांपों को पकड़ना कानून अपराध है, वाबजूद इसके परम्परा के चलते सपेरे इनको पकड़ लेते हैं। हांलांकि सपेरे इनको कोई चोट नहीं पहुंचाते हैं और सांप भी इतना घुल मिल जाते हैं कि वे भी सपेरों के साथ बने रहते हैं।