Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी विजय- व्यासजी के तहखाने में पूजा की मिली अनुमति, जिला जज की कोर्ट ने दिया आदेश
Gyanvapi Case: बुधवार को व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति को कोर्ट ने बड़ा आदेश जारी कर दिया है। पूजा करने की अनुमति मिल गई है। जिला जज की अदालत में दोनों पक्षों की बहस पूरी मंगलवार को पूरी हुई थी। तहखाने के रिसीवर जिलाधिकारी को बनाया गया है.
ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा किए जाने की अनुमति मिल गई है। तहखाने में पूजा संबंधी आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली गई। खबरों के मुताबिक, अदालत इस प्रकरण में बुधवार को अपना आदेश सुनाएगी। आदेश की पत्रावली सुरक्षित कर ली गई है। तो वहीं वादी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी और दीपक सिंह ने कोर्ट में दलील पेश की है और अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से दिए गए आवेदन के एक भाग को अदालत ने पहले ही स्वीकार कर लिया है। इसके तहत व्यासजी के तहखाने को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दे दिया गया है। हमारा दूसरा अनुरोध है कि जो बैरिकेडिंग नंदीजी के सामने की गई है, उसे खोलने की अनुमति दी जाए।
इसी के साथ ही ये भी अनुरोध किया गया है कि, व्यासजी के तहखाने में वर्ष 1993 के पहले के जैसे पूजा के लिए अदालत के आदेश से आने-जाने दिया जाए। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने घोर आपत्ति जताई है और कहा है कि व्यासजी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है। वहां पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह मुकदमा पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम से बाधित है। इसी के साथ ही मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने ये भी कहा है कि, तहखाना मस्जिद का हिस्सा है और वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। लिहाजा, वहां पूजा-पाठ कि अनुमति न दी जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश के लिए बुधवार की तिथि नियत कर दी।
ASI सर्वे में मिले हिंदू मंदिर के साक्ष्य
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद का ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने सर्वे किया था और कोर्ट को रिपोर्ट सौंप दी थी. इस रिपोर्ट को कोर्ट ने 25 जनवरी को सार्वजनिक किया था. सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर किए जाने का दावा किया गया है. इस सम्बंध में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने लोगों को बताया था कि, सर्वे में सामने आई रिपोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में होने के साक्ष्य मिले हैं. उन्होंने कहा था कि उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था और उसने एक पुराने मंदिर को ध्वस्त कर यहां पर मस्जिद का निर्माण करवाया था. अधिवक्ता विष्णु जैन ने ये भी दावा किया है कि एएसआई की टीम जब मंदिर के भीतर सर्वे करने गई तो उसे इसके भीतर तहखानों में मूर्तियों के अवशेष मिले हैं. इसी के साथ उन्होंने रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि मस्जिद के निर्माण के लिए जिन स्तंभों और पिलरों का इस्तेमाल किया गया है, वे पहले से मौजूद मंदिर के हैं. इसी के साथ रिपोर्ट में मस्जिद की पीछे की दीवार को एक मंदिर की दीवार बताया गया है.