दो दिन जमकर चला रंग लेकिन उत्तर प्रदेश के इस जिले में 23 को मनेगी होली, देखें मणिपुर में कैसे होता है होलिका दहन, वीडियो
कानपुर। तिथि के असमंजस को लेकर पूरे भारत में 18 और 19, दो दिन जमकर होली मनाई गई। जहां 17 की रात होलिका दहन के बाद 18 को पूरे भारत में रंग खेला गया वहीं गोरखपुर, बिहार, मणिपुर सहित देश के तमाम हिस्से ऐसे थे जहां 19 को होली मनाई गई। मणिपुर में 19 की भोर में होलिका दहन वहां के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। तो वहीं उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला है, जहां 8 दिन तक होली मनाने का रिवाज चला आ रहा है। यहां पर होली का समापन अनुराधा नक्षत्र पर होली खेलने के बाद ही होता है।
यह जिला कानपुर है। यहां पर अंग्रेजों के समय से ही अनुराधा नक्षत्र पर रंग खेलकर ही होली का समापन किया जाता है। हालांकि उत्तर प्रदेश के कई जिले हैं, जहां अष्टमी तिथि को रंग खेलने और होली मिलन समारोह का आयोजन किए जाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है, लेकिन कानपुर के गंगा मेला का इतिहास आजादी की लड़ाई से जुड़ा हुआ है, जोकि जिले के युवाओं में इस दिन को लेकर और भी जोश भर देता है।
इस बार 23 मार्च दिन बुधवार की उदया तिथि पर अनुराधा नक्षत्र होने के कारण इसी दिन कानपुर में दोपहर से पहले पुराने कानपुर के साथ ही पूरे कानपुर में पहले रंग खेला जाएगा, फिर शाम को प्रत्येक वर्ष की भांति सरसैया घाट पर जिला प्रशासन, पुलिस के साथ ही कानपुर भर की सामाजिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों के लोग अपने स्टाल के साथ मौजूद होते हैं और एक-दूसरे को होली की बधाई देकर समाज में एकता व अखंडता का संदेश देते हैं। बता दें कि गंगा मेला क्रांतिकारियों के इतिहास के जुड़ा हुआ है।
कविता से समझें भक्त प्रहलाद की भक्ति की कथा,जिसे लिखा है जसप्रीत सिंह कानपुरी ने
जीत हुई थी भक्त की, अभिमान सभी हारे। प्रहलाद तो धन्य थे, बाकी बनें बेचारे।।
सण्डे मरके कहे जी,पढ़ाता प्रहलाद को। मत जपो हरि नाम, देखोंगे दुख दवारे।।
पिता ही तुम्हारे हैं, परमेश्वर धरती के। जपो हिरण्यकश्यप, पाओगे सुख सारे।।
कितने ही यत्न किये, हिरण्यकश्यप ने। नही छोड़ा प्रभु नाम, प्रहलाद न हारे।।
महावत ने हाथी को, हुक्म जो अजब दिया। भक्त पर पैर रखों, दिखाओं मृत्यु दवारे।।
हाथी ने तो सिर पर, बैठा लिया था भक्त को। देख थे गुस्साये पिता, पर अभी कहां हारे।।
ऊँचे पहाड़ पर जी, खड़ा कर धक्का दिया। बच गये प्रहलाद, नारायण के प्यारे।।
होलिका जो बहन थी, हिरण्यकश्यप की। दिखा वरदानी चुन्नी, बोली लो सुन सारे।।
चिता को जला मुझे, बैठा दो तुम उसमें। ओढूंगी चुन्नी मैं जो, नही जलूंगी प्यारे।।
प्रहलाद बैठा देना, मेरी तुम गोद में जी। जल जायेगा जब वो, मनाना खुशी सारे।।
किया तो ऐसा ही पर, हवा थी अजब चली। होलिका से चुन्नी उड़ी, घबराये थे सारे।।
प्रहलाद को ढक लिया, चुन्नी ने उड़ के तभी। होलिका दहन हुई, हसे राम प्यारे।।
हदय से हार गया, हिरण्यकश्यप जी। रस्सी से बांधा भक्त, था खम्भें के किनारे।।
दिखाओं मुझे हरि को, नाम जिसका जपते। बचायेंगे अब कैसे, तुझे प्रीतम प्यारे।।
तलवार ले खड़ा हुआ, जैसे ही था वार किया। नरसिंह रूप लेके, प्रकट हुये प्यारे।।
नाही तो वो मनुष्य थे, नाही था पशु आकार। घुटनों पर लिटा कर, चलाये नाखून धारे।।
वरदान ब्रह्मा दिये, टूटा न देखों होनी। मरा हिरण्यकश्यप, प्रभु जी थी मारे।।
ना ही तो वो दिन था, नाही तो रात थी जी। संध्या बेला में रचायी,विधि थी प्रभु प्यारे।।
नाही आकाश था वो, नाही तो वो धरति थी, घुटनों पर रखकर, प्रभु जी उसे मारे।।
नाही कोई शस्त्र था जी, नाही तो कोई अस्त्र था। नाखूनों की घात से ही, प्रभु जी उसे मारे।।
भक्त को गले लगा जी, प्रभु जी थे मुस्का रहे। धन्य है प्रहलाद जी, लगाये सबने नारें।।
बुराई की हार हुई, अच्छाई है जीती जी। रंगो की खेल होली, मग्न हुये थे सारे ।।
होली है आई जस,दोहरा प्रहलाद को। भक्ति उस जैसी मांग, मांग लें प्रभु प्यारे।।
भक्त प्रहलाद की जीत और बुराई की हार, को दर्शाने वाले पर्व होली की लाख लाख बधाई।।
जसप्रीत सिंह कानपुरी
इन महत्वपूर्ण खबरों पर भी डालें नजर-
लखनऊ में एक महिला ने होमगार्ड को चप्पल से पीटा, देखें वीडियो
योगी आदित्यनाथ 25 मार्च की शाम ले सकते हैं शपथ, बतौर मुख्यमंत्री शुरू करेंगे दूसरी पारी
ग्रह-नक्षत्रों का दोष मिटाने के झांसा देकर लखनऊ की युवती को दिल्ली बुलाकर तांत्रिक ने किया दुष्कर्म
जापान में भूकम्प के लगे दो बड़े झटके, सुनामी अलर्ट, देखें वीडियो